शेर और बिल्ली की कहानी हिंदी में | Sher Aur Billi Ki Kahani

इस लेख के माध्यम से हम आपको हिंदी में “शेर और बिल्ली की कहानी हिंदी में | Sher Aur Billi Ki Kahani” सुनाएंगे। यह कहानी शेर और बिल्ली के बारे में है, जो हमें साहस और सहयोग की महत्वपूर्ण कहानी सुनाती है। इस लेख को पढ़कर आप मनोरंजन के साथ-साथ सीख भी प्राप्त करेंगे।

शेर और बिल्ली की कहानी हिंदी में

सालों पहले नील नामक जंगल में एक बड़ी होशियार बिल्ली रहती थी। हर कोई उससे ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। जंगल के सारे जानवर उस बिल्ली को मौसी कहकर पुकारते थे। कुछ जानवर उस बिल्ली मौसी से पढ़ने के लिए भी जाते थे।

एक दिन बिल्ली मौसी के पास एक शेर आया। उसने कहा, “मुझे भी आपसे शिक्षा चाहिए। मैं आपका छात्र बनकर आपसे सबकुछ सीखना चाहता हूँ, ताकि जीवन में आगे मुझे कोई दिक्कत ना हो।”

शेर और बिल्ली की कहानी हिंदी में | Sher Aur Billi Ki Kahani
शेर और बिल्ली की कहानी हिंदी में | Sher Aur Billi Ki Kahani

कुछ देर सोचने के बाद बिल्ली बोली, “ठीक है, तुम कल से पढ़ने के लिए आ जाना।”

अगले दिन से रोज़ाना शेर बिल्ली मौसी के यहाँ पढ़ने के लिए आने लगा। एक महीने में शेर इतना समझदार हो गया कि बिल्ली ने उससे कहा, “अब तुम मुझसे सब कुछ सीख चुके हो।

तुम्हें कल से पढ़ाई के लिए आने की ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे द्वारा प्राप्त की गई शिक्षा की मदद से अपने जीवन को आसानी से जी सकते हो।”

शेर ने पूछा, “आप सच कह रही हैं? मुझे अब सब कुछ आ गया है, क्या?”

बिल्ली ने जवाब दिया, “हाँ, मैं जो कुछ भी जानती थी, मैंने सब कुछ तुम्हें सीखा दिया है।”

शेर ने दहाड़ते हुए कहा, “चलो फिर क्यों ना आज इस विद्या को तुम पर ही आज़मा कर देख लिया जाए। इससे मुझे पता चल जाएगा कि मुझे कितना ज्ञान मिला है।”

डर के मारे सहमी हुई बिल्ली मौसी ने कहा, “बेवकूफ, मैं तुम्हारी गुरु हूँ। मैंने तुम्हें शिक्षा दी है, तुम इस तरह मेरे ऊपर प्रहार नहीं कर सकते हो।”

शेर ने बिल्ली की एक न सुनी और उसपर झपट पड़ा। अपनी जान बचाने के लिए तेज़ी से बिल्ली दौड़ने लगी। दौड़ते-दौड़ते वह पेड़ पर चढ़ गई।

बिल्ली को पेड़ पर चढ़ा हुआ देखकर शेर ने कहा, “तुमने मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। तुमने मुझे पूरा ज्ञान नहीं दिया।”

पेड़ पर चढ़ने के बाद राहत की साँस लेते हुए बिल्ली ने जवाब दिया, “मुझे तुम पर पहले दिन से ही विश्वास नहीं था। मैं जानती थी कि तुम मुझसे सीखने के लिए तो आए हो, लेकिन मेरे ही जीवन के लिए आफ़त बन सकते हो।

यही कारण है कि मैंने तुम्हें पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया। अगर मैंने तुम्हें यह ज्ञान भी दिया होता, तो तुम आज मुझे मार डालते।”

गुस्से में बिल्ली आगे बोली, “तुम आज के बाद मेरे सामने कभी मत आना। मेरी नज़रों से दूर हो जाओ। ऐसा शिष्य जो अपने गुरु का सम्मान नहीं कर सकता, वो किसी क़ाबिल नहीं।”

बिल्ली मौसी की बात सुनकर शेर को भी गुस्सा आया, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि बिल्ली पेड़ पर थी। गुस्से को मन में लेकर शेर वहाँ से दहाड़ते हुए चला गया।

यह कहानी से हमने सीखा

शेर बिल्ली की कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी पर भी आँखें मूँदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।

जीवन में हर किसी से सतर्क रहने पर ही आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

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