Unseen Poems for Class 12 in Hindi – अपठित काव्यांश

Unseen Poems for Class 12 in Hindi is the most important part of scoring higher marks in your exam. Reading the unseen poem class 12 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill.

Students who are planning to score higher marks in class 12 Hindi poems should practice the Hindi poem for class 12 before attending the CBSE board exam.

It is compulsory to solve the unseen poem in class 12 because you need to score higher marks in your exam.

To improve your skills, we have provided you with the unseen poem class 12 with answers.

While Solving the poem, you will see some unseen poems in class 12 with MCQs also present in them.

It is provided to make yourself an expert by solving them and scoring good marks in your exam. You can also practice unseen passage class 12 in Hindi.

Guidelines to attempts the unseen poem class 12

  • 1-First of all, read the poem quickly and answer the question at the end of the poem.
  • 2-Underline the word that you find related to a given question.
  • 3-There is also another method you can start first by solving questions without reading the poem which does not give you any clue, especially in the Hindi poem for class 12. It just becomes easier to underline those words that you have seen in the question.
  • 4-While writing the answer, do not try to give a general answer, be sure sometimes students write the general description just to obtain 2 or 3 marks so avoid it.
  • 5-Write your answer short and use simple sentences unless required to do.
  • 6-Do does not stick to one question because you are wasting your time and don’t use unmeaningful words when meaningful ones give you a good mark.
  • 7-Try to use your own word as much as you can. it means you must summarise and explain in detail and don’t try to take whole sentences from the passage.
  • 8-While writing the answer to a factual question( i.e, the question that involves words like what, when, how, and why,)do not write the information which is not given in that poem so, while answering this question you may start your answer with ‘This is because of a similar phrase.
  • 9-While writing the vocabulary question, decide the grammatical form of the word. Your answer should have a similar grammatical form.

अपठित काव्यांश

अपठित काव्यांश क्या है?
वह काव्यांश, जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण-क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।

परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा में विद्यार्थियों को अपठित काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित पाँच लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न पाँच अंक के होंगे।

अपठित काव्यांश हल करने की विधि :

  • सर्वप्रथम काव्यांश का दो-तीन बार अध्ययन करें ताकि उसका अर्थ व भाव समझ में आ सके।
  • तत्पश्चात् काव्यांश से संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।
  • प्रश्नों के पढ़ने के बाद काव्यांश का पुनः अध्ययन कीजिए ताकि प्रश्नों के उत्तर से संबंधित पंक्तियाँ पहचानी जा सकें।
  • प्रश्नों के उत्तर काव्यांश के आधार पर ही दीजिए।
  • प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
  • उत्तरों की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।

Unseen Poem class 12 with answers

01 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

नए युग में विचारों की नई गंगा कहाओ तुम,
कि सब कुछ जो बदल दे, ऐसे तूफ़ाँ में नहाओ तुम।

अगर तुम ठान लो तो आँधियों को मोड़ सकते हो
अगर तुम ठान लो तारे गगन के तोड़ सकते हो,
अगर तुम ठान लो तो विश्व के इतिहास में अपने-
सुयश का एक नव अध्याय भी तुम जोड़ सकते हो,

तुम्हारे बाहुबल पर विश्व को भारी भरोसा है-
उसी विश्वास को फिर आज जन-जन में जगाओ तुम।

पसीना तुम अगर इस भूमि में अपना मिला दोगे,
करोड़ों दीन-हीनों को नया जीवन दिला दोगे।
तुम्हारी देह के श्रम-सीकरों में शक्ति है इतनी-
कहीं भी धूल में तुम फूल सोने के खिला दोगे।

नया जीवन तुम्हारे हाथ का हल्का इशारा है
इशारा कर वही इस देश को फिर लहलहाओ तुम।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) यदि भारतीय नवयुवक दृढ़ निश्चय कर लें, तो क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर. यदि भारतीय नवयुवक दृढ़ निश्चय कर लें तो वे विपदाओं का रास्ता बदल सकते हैं, वे विश्व के इतिहास को बदल सकते है, असंभव कार्य को संभव कर सकते हैं तथा अपने यश का नया अध्याय जोड़ सकते हैं।

(ख) नवयुवकों से क्या-क्या करने का आग्रह किया जा रहा है?
उत्तर. कवि नवयुवकों से आग्रह करता है कि वे नए विचार अपनाकर जनता को जाग्रत कर तथा उनमें आत्मविश्वास का भाव जगाएँ।

(ग) युवक यदि परिश्रम करें, तो क्या लाभ होगा?
उत्तर. युवक यदि परिश्रम करें तो करोड़ों दीन-हीनों को नया जीवन मिल सकता है।

(घ) आशय स्पष्ट कीजिए
‘कहीं भी धूल में तुम फूल सोने के खिला दोगे।’
उत्तर. इस पंक्ति का अर्थ है कि युवकों में इतनी कार्यक्षमता है कि वे कम साधनों के बावजद विकट स्थितियों में भी समाज को अधिक दे सकते हैं।


02 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर
पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ।
तूफानों-भूचालों की भयप्रद छाया में,
मैं ही एक अकेला हूँ जो गा सकता हूँ।

मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,
इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं।
मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है।
मैं खंडहर को फिर से महल बना सकता हूँ।

जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं,
प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शरमाए।
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है?
उत्तर. उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में मजदूर की शक्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है।

(ख) स्वर्ग के प्रति मजदूर की विरक्ति का क्या कारण है?
उत्तर. मज़दूर निर्माता है । वह अपनी शक्ति से धरती पर स्वर्ग के समान सुंदर बस्तियाँ बना सकता है। इस कारण उसे स्वर्ग से विरक्ति है।

(ग) किन कठिन परिस्थितियों में उसने अपनी निर्भयता प्रकट की है?
उत्तर. मज़दूर ने तूफानों व भूकंपों जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी घबराहट प्रकट नहीं की है। वह हर मुसीबत का सामना करने को तैयार रहता है।

(घ) मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है,
इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं।
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर. इसका अर्थ यह है कि ‘मैं’ सर्वनाम शब्द श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। कवि कहना चाहता है कि मजदूर वर्ग में संसार के सभी क्रियाशील प्राणी आ जाते हैं।

(ङ) अपनी शक्ति और क्षमता के प्रति उसने क्या कहकर अपना आत्म-विश्वास प्रकट किया है?
उत्तर. मज़दूर ने कहा है कि वह खंडहर को भी आबाद कर सकता है। उसकी शक्ति के सामने भूचाल, प्रलय व बादल भी झुक जाते हैं।


03 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

तरुणाई है नाम सिंधु की उठती लहरों के गर्जन का,
चट्टानों से टक्कर लेना लक्ष्य बने जिनके जीवन का|

विफल प्रयासों से भी दूना वेग भुजाओं में भर जाता,
जोड़ा करता जिनकी गति से नव उत्साह निरंतर नाता|

पर्वत के विशाल शिखरों-सा यौवन उसका ही है अक्षय,
जिसके चरणों पर सागर के होते अनगित ज्वार सदा लय |

अचल खड़े रहते जो ऊँचा,शीशा उठाए तूफानों में,
सहनशीलता, दृढ़ता हंसती, जिनके यौवन के प्राणों में|

वही पंथ –बाधा को तोड़े बहते हैं जैसे हों निर्झर,
प्रगति नाम को सार्थक करता यौवन दुर्गमत पर चलकर|

आज देश की भावी आशा बनी तुम्हारी ही तरुणाई
नए जन्म की श्वास तुम्हारे अंदर जागकर है लहराई|

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) यौवन की तुलना किससे की गई है और क्यों?

(ख) काव्यांश के आधार पर युवकों की क्षमताओं पर प्रकाश डालिए|

(ग) यौवन की सार्थकता कब मानी गई है?

(घ) पर्वतों और युवकों में साम्य दर्शाइए|

(ङ) काव्यांश का केन्द्रीय भाव लिखिए|


04 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।

मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए ।

फिर मुझको क्या रोक सकेंगे, जीवन के उत्थान-पतन।
आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,

फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये जग के खंडन-मंडन।
मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल।
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल।

मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं, अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर. कवि के स्वभाव की दो विशेषताएँ हैं-(क) गतिशीलता। (ख) साहस व संघर्षशीलता।

(ख) कविता में आए मे, विद्युत, सागर की गर्जना औरज्वालामुखी किनके प्रतीक हैं ? कवि ने उनकासंयोजन यहाँ क्यों किया है ?
उत्तर. मेघ, विद्युत, सागर की गर्जना व ज्वालामुखी जीवन-पथ में आने वाली बाधाओं के परिचायक हैं। कवि इनका संयोजन इसलिए करता है ताकि अपनी संघर्षशीलता व साहस को दर्शा सके।

(ग) ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने कभी चयन’-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि ने हमेशा चुनौतियों से पूर्ण कठिन मार्ग चुना है। वह सुख-सुविधापूर्ण जीवन त्यागकर संघर्ष करते हुए जीना चाहता है।

(घ) ‘युग की प्राचीर’ से क्या तात्पर्य है? उसे कमजोर क्यों बताया गया है?
उत्तर. इसका अर्थ है-समय की बाधाएँ। कवि कहता है कि संकल्पवान व्यक्ति बाधाओं व संकटों को अपने साहस एवं संघर्ष से जीत लेते हैं। इसी कारण वे कमजोर कमज़ोर हैं।

(ङ) किन पंक्तियों का आशय है-तन-मन में दृढ़ निश्चय का नशा हो तो जीवन-मार्ग में बढ़ते रहने से कोई नहीं रोक सकता।
उत्तर. ये पंक्तियाँ हैं –
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए, फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।


05 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे?
लहू गर्म करने को रक्खो मन में ज्वलित विचार,
हिंस्र जीव से बचने को चाहिए किंतु तलवार।
एक भेद है और, जहाँ निर्भय होते नर-नारी
कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी
जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,
बातों में बिजली होती, होते दिमाग में गोले।
जहाँ लोग पालते लहू में हालाहल की धार
क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में हुई नहीं तलवार?

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कलम किस बात की प्रतीक है?
उत्तर. कलम व्यक्ति में ओजस्वी और क्रांतिकारी विचार उत्पन्न करने के साधन का प्रतीक है जिससे व्यक्ति की दीनता-हीनता नष्ट हो जाती है।

(ख) तलवार की आवश्यकता कहाँ पड़ती है?
उत्तर. जहाँ लोग क्रांतिकारी विचारों से दूरी रखते हैं; साहस, उत्साह से हीन होते हैं; वाणी में दीनता और व्यवहार में ल्किता है जो लोक कल्ममेंआपाउलों की ताकता नाटह चुकहैव लरिक आवयकता पडती है।

(ग) लहू को गर्म करने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर. लहू को गर्म रखने का तात्पर्य है-मन में जोश, उत्साह और उमंग बनाए रखते हुए क्रांतिकारी विचार रखना।

(घ) कैसे व्यक्ति को तलवार की आवश्यकता नहीं होती?
उत्तर. जो व्यक्ति निर्भय होता है, जिस व्यक्ति के विचारों में क्रांति की ज्वाला फूटती है, अन्याय अत्याचार को न सहने की प्रबल भावना होती है तथा जिसमें अपने राष्ट्र के प्रति बलिदान की उत्कट भावना होती है उसे तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती।

(ङ) तलवार कब अपरिहार्य हो जाती है?
उत्तर. तलवार तब अपरिहार्य बन जाती है जब अत्याचार, अन्याय तथा राष्ट्र के प्रति कुदृष्टि रखने वाले शत्रुरूपी हिंसक जीव से अपना बचाव करना होता है तथा प्रेम, सद्भाव आदि को दुर्बलता समझकर उनका अनुचित फायदा उठाया जाता है।


06 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

खुलकर चलते डर लगता है
बातें करते डर लगता है
क्योंकि शहर बेहद छोटा है।

ऊँचे हैं, लेकिन खजूर से
मुँह है इसीलिए कहते हैं,
जहाँ बुराई फूले-पनपे-
वहाँ तटस्थ बने रहते हैं,
नियम और सिद्धांत बहुत
दंगों से परिभाषित होते हैं-
जो कहने की बात नहीं है,
वही यहाँ दुहराई जाती,
जिनके उजले हाथ नहीं हैं,
उनकी महिमा गाई जाती
यहाँ ज्ञान पर, प्रतिभा पर
अवसर का अंकुश बहुत कड़ा है
सब अपने धंधे में रत हैं
यहाँ न्याय की बात गलत है
क्योंकि शहर बेहद छोटा है।

बुद्धि यहाँ पानी भरती है,
सीधापन भूखों मरता है–
उसकी बड़ी प्रतिष्ठा है,
जो सारे काम गलत करता है।

यहाँ मान के नाप-तौल की
इकाई कंचन है, धन है
कोई सच के नहीं साथ है
यहाँ भलाई बुरी बात है
क्योंकि शहर बेहद छोटा है।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि शहर को छोटा कहकर किस ‘ छोटेपन ‘ को अभिव्यक्त करता चाहता है ?
उत्तर. कवि शहर को छोटा कहकर लोगों की संकीर्ण मानसिकता, उनके स्वार्थपूर्ण बात-व्यवहार, बुराई का प्रतिरोध न करने की भावना, अन्याय के प्रति तटस्थता जैसी बुराइयों में लिप्त रहने के कारण उनके छोटेपन को अभिव्यक्त करना चाहता है।

(ख) इस शहर के लोगों की विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर. इस शहर के लोग बुराई का विरोध न करके तटस्थ बने रहते हैं। अर्थात वे बुराई के फैलने का उचित वातावरण प्रदान करते हैं।

(ग) आशय समझाइए :
बुद्धि यहाँ पानी भरती है,
सीधापन भूखों मरता है-
उत्तर. इन पंक्तियों का आशय यह है कि बुद्धमान लोग धनिकों के गुलाम बनकर रह गए हैं। वे वही काम करते हैं जो सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति करवाना चाहते हैं। यहाँ सीधेपन का कोई महत्त्व नहीं है। यहाँ वही व्यक्ति सम्मानित होता है जो हिंसा, आतंक से भय का वातावरण बनाए रखता है।

(घ) इस शहर में असामाजिक तत्व और धनिक क्या-क्या प्राप्त करते हैं?
उत्तर. इस शहर में असामाजिक तत्त्व और धनिक प्रतिष्ठा तथा मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।

(ङ) ‘जिनके उजले हाथ नहीं हैं”-कथन में ‘हाथ उजले न होना’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर. ‘ जिनके उजले हाथ नहीं हैं ‘ कथन में ‘हाथ उजले न होने’ का आशय है
अनैतिक, अमर्यादित, अन्यायपूर्वक कार्य करना तथा गलत तरीके एवं बेईमानी से धन, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करके दूसरों का शोषण करने जैसे कार्यों में लिप्त रहना।


07 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली।
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की।
बरस बाद सुधि लीन्हीं-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपर्युक्त काव्यांश में ‘पाहुन’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर. मेघ को ‘पाहुन’ कहा गया है, क्योंकि वे बहुत दिन बाद लौटे हैं और ससुराल में पाहुन की भाँति उनका स्वागत हो रहा है।

(ख) मेघ किस रूप में और कहाँ आए?
उत्तर. मेघ मेहमान की तरह सज-सँवरकर गाँव में आए।

(ग) मेघ के आने पर गाँव में क्या-क्या परिवर्तन दिखाई देने लगे ?
उत्तर. मेघ के आने पर गाँव के घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खुलने लगीं। पेड़ झुकने लगे, आँधी चली और धूल ग्रामीण बाला की भाँति भागने लगी।

(घ) पीपल को किसके रूप में चित्रित किया गया है? उसने क्या किया?
उत्तर. पीपल को गाँव के बूढ़े व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है। उसने नवागंतुक का स्वागत किया।

(ङ)‘लता’ कौन है? उसने क्या शिकायत की?
उत्तर. ‘लता’ नवविवाहिता है, जो एक वर्ष से पति की प्रतीक्षा कर रही है। उसे शिकायत है कि वह (बादल) पूरे एक साल बाद लौटकर आया है।


08 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान!
जिससे जीवन में मिले शक्ति
छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ!
मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति !

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि ने ‘चिर महान’ किसे कहा है?
(i) मानव को
(ii) ईश्वर को
(iii) जो सत्य और सुंदर से संपूर्ण हो
(iv) शक्ति को

उत्तर. (ii)

(ख) कवि कैसा प्रकाश बनना चाहता है?
(i) जिससे सब तरफ उजाला हो जाए।
(ii) अज्ञान का अंधकार दूर हो जाए
(iii) जो जीने की शक्ति देता है।
(iv) जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।

उत्तर. (iv)

(ग) कवि ने ‘अखिल व्यक्ति का प्रयोग क्यों किया है?
(i) कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है।
(ii) कवि अमीर लोगों की बात कहना चाहता है।
(iii) कवि भारत के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाहता है।
(iv) कवि ब्रह्मज्ञानी बनना चाहता है।

उत्तर. (i)

(घ) कवि ने कविता की पंक्तियों के अंत में विस्मयादिबोधक चिह्न प्रयोग क्यों किया है?
(i) कविता को तुकांत बनाने के लिए
(ii) कवि अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
(iii) इससे कविता का सौंदर्य बढ़ता है।
(iv) पूर्ण विराम की लीक से हटने के लिए

उत्तर. (ii)

(ङ) कविता का मूलभाव क्या है?
(i) कल्याण
(ii) अमरदान की प्राप्ति
(iii) विश्व-परिवार की भावना
(iv) सत्य की प्राप्ति

उत्तर. (iii)


09 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बँटवारे ने भीतर-भीतर
ऐसी-ऐसी डाह जगाई।
जैसे सरसों के खेतों में
सत्यानाशी उग-उग आई ॥
तेरे-मेरे बीच कहीं है टूट-अनटूटा पतियारा।।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
अपशब्दों की बंदनवारें
अपने घर हम कैसे जाएँ।
जैसे साँपों के जंगल में
पंछी कैसे नीड़ बनाएँ।
तेरे-मेरे बीच कहीं है भूला-अनभूला गलियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बचपन की स्नेहिल तसवीरें
देखें तो आँखें दुखती हैं।
जैसे अधमुरझी कोंपल से
ढलती रात ओस झरती है।
तेरे-मेरे बीच कहीं है बूझा-अनबूझा उजियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कविता से किस बँटवारे की बात हो सकती है?
(i) दो भाइयों का बँटवारा
(ii) दो देशों के बीच का बँटवारा
(iii) संपत्ति का बँटवारा
(iv) दो शरणार्थियों के बीच का बँटवारा

उत्तर. (i)

(ख) ‘तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा’ का भाव है–
(i) परस्पर संबंधों में इतनी घृणा हो गई कि भाईचारा कहाँ रह गया।
(ii) जब परस्पर संबंधों में दरार आ जाती है तो भाईचारे का प्रश्न ही नहीं उठता।
(iii) परस्पर संबंधों के बीच घृणा के बीज बोए गए फिर भी भाईचारा बना रहा।
(iv) बँटवारे में घृणा के सिवाय और कुछ नहीं।

उत्तर. (i)

(ग) सरसों के खेतों में सत्यानाशी’ किसे कहा गया है?
(i) काम बिगाड़ने वाले लोगों को
(ii) दीमक को
(iii) लोगों को
(iv) परस्पर ईष्र्याभाव को

उत्तर. (iv)

(घ) अपशब्दों की बंदनवारें’ कैसे प्रभावित करती हैं?
(i) मनुष्य को परेशान करती हैं।
(ii) अपनों से मिलने से रोकती हैं।
(iii) सजावट के काम आती हैं।
(iv) मेल-मिलाप की गुंजाइश नहीं रह जाती।

उत्तर. (ii)

(ङ) बचपन की तसवीरें क्या आशा जगाती हैं?
(i) आँसुओं में मलिनता धुल जाएगी और उजाला होगा।
(ii) यौवन ठीक-ठाक गुजरेगा।
(iii) घर के बुजुर्ग शांति स्थापित कर पाएँगे।
(iv) बीता हुआ बचपन लौट आएगा।

उत्तर. (i)


10 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मैंने देखा
एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है।
उसके नीचे
कुछ छोटे-छोटे पौधे ।
बड़े सुशील विनम्र
देखकर मुझको यों बोले
हम भी कितने खुशकिस्मत हैं।
जो खतरों को नहीं सामना करते।
आसमान से पानी बरसे, आगी बरसे
आँधी गरजे
हमको कोई फ़िक्र नहीं है।
एक बड़े की वरद छत्रछाया के नीचे
हम अपने दिन बिता रहे हैं।
बड़े सुखी हैं।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) इस कविता में ‘बरगद’ किसका प्रतीक है?
(i) रक्षक का
(ii) अभिभावक का
(iii) दयालु व्यक्ति का
(iv) हितचिंतक का

(ख) इनमें कौन-सा शब्द विशेषण नहीं है?
(i) छोटे-छोटे
(ii) छत्रछाया
(iii) विनम्र
(iv) सुशील

(ग) ‘आँधी गरजे’ से क्या तात्पर्य है?
(i) प्रसन्नता
(ii) खुशकिस्मत
(iii) मुसीबतें
(iv) वरद छत्रछाया

(घ) छोटे पौधे कैसा जीवन बिता रहे हैं?
(i) सुंदर और सुशील
(ii) कठिन
(iii) सुखी
(iv) खतरों से पूर्ण

(ङ) बरगद के पेड़ की क्या विशेषता होती है?
(i) बहुत छोटा होता है।
(ii) सदा पवित्रहीन होता है।
(iii) बहुत विशाल होता है।
(iv) बहुत कठोर होता है।


11 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ।
है अगम चेतना की घाटी, कमज़ोर बड़ा मानव का मन
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन
ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मूँदे नयन
होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन
संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) फूल और कॉटे बोने का प्रतीकार्थ क्या है?
उत्तर. फूल बोने का प्रतीकार्थ है- मानव मात्र की भलाई के कार्य करते हुए मानवता के प्रतीकों का पोषण एवं संरक्षण करना, जबकि काँटे बोने का प्रतीकार्थ है-मानव और मानवता के विरुद्ध कार्य करना।

(ख) मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती हैं?
उत्तर. मन जीवनविरोधी अर्थात् त्रासद और दु:खद स्थितियों में अशांत होता है, लेकिन वो ममता, प्रेम एवं सहयोग और सकारात्मक भाव की स्थितियों का सहारा पाकर शांत हो जाता है।

(ग) संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए और क्यों?
उत्तर. संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार धैर्यपूर्ण होना चाहिए क्योंकि धैर्यपूर्वक संकट का सामना करने पर वह अंततः टल जाता है, लेकिन यदि हम उससे भयभीत होने लगते है, तो वह निरंतर बढ़ता ही जाता है।

(घ) मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है?
उत्तर. अनुकूल स्थितियाँ न होने पर या दूसरों की प्रगति देखकर मनुष्य के मन में कटुता आ जाती है, लेकिन जब वह दूसरों के बारे में भी सोचता है और सहयोगपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है, तब उसके मन की कटुता दूर हो जाती है।


12 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

देखकर बाधा विविध, बहु विध्न घबराते नहीं |
रह भरोसे भाग के दुःख भोग पछताते नहीं ||

काम कितना हे कठिन हो किन्तु उकताते नहीं |
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं ||

हो गए एक आन में उनके बुरे दिन भी भले |
सब जगह सब काल में वे हे मिले फुले फैले ||

व्योम का छूते हुए दुर्गास पहाड़ो के शिखर |
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर ||
गर्जते जलराशि की उठती हुई ऊँची लहर ||
आग की भयदायिनी फैली दिशाओ में लबर ||

ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं |
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कही ||

चिलचिलाती धुप को जो चांदनी देवे बना |
काम पड़ने पर करे जो शेर का भी सामना ||

जो की हँस-हँस के चबा लेते है लोहे का चना |
‘है कठिन कुछ भी नहीं’ जिनके है जी में ठान ||

कोस कितने ही चले पर वे कभी थकते नहीं |
कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं ||

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) विध्न बाधाओं से कौन नहीं घबराते है? उनकी विशेषताएं बताइये|
उत्तर. जो कर्मनिष्ठा रखते है और कर्मवीर होते है, वे विध्न बाधाओं से नहीं घबराते है | वे भाग्यवादी न होकर कठिन परिश्रम, धीर-वीर, दृढ़-निश्चयी और आन-बान निभाने वाले है| वे कठिन से कठिन काम को भी आसान बना देते है तथा सदा निर्भय बने रहते है |

(ख) ‘चबा लेते है लोहे का चना’ से क्या आशय है?
उत्तर. अत्यधिक कठिन एवं असाध्य काम को करना – इस आशय के लिए लोहे के चने चबाना मुहावरा प्रसिद्ध है | यहाँ भी इसका यही आशय है | कर्मवीर निर्भय होकर सफलता से सारे कामो को साध लेते है, उनके लिए कोई काम असाध्य नहीं है |

(ग) चिलचिलाती धुप को चांदनी बनाने से क्या सन्देश व्यक्त हुआ है?
उत्तर. विपरीत या कठिन परस्थितियो को अनुकूल बनाकर चलने से कर्मवीर का जीवन सफल रहता है | इससे यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि हमे कठिन परस्थितियों को अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिए तथा सदा दृढ़ निश्चयी बनकर उद्यम करना चाहिए |

(घ) ‘जिनके है जी में ठना’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर. ‘जिनके है जी में ठान’ से कवि का आशय है कि कर्म में विश्वास रखने वाले वीर पुरुष जो कुछ अपने मन में प्रण कर लेते है वे उसे पूरा करके ही रहते है|

(ड़) इस काव्यांश का क्या आशय है?
उत्तर. इस काव्यांश में कवि ने कर्म में विश्वास रखने वाले धीर, वीर, गंभीर और आन- बान पर मर मिटने वाले महापुरुषो का उल्लेख किया है जो कभी विपरीत या कठिन प्रस्तितियो से घबरा कर अपने कर्म-पथ से वापस नहीं लौटते चाहे मार्ग में कितनी ही कठिनाई क्यों न आये उन्हें वे बिना हारे-थके आसानी से पार कर लेते है|


13 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

अब न गहरी नींद में तुम सो सकोगे,
गीत गाकर मैं जगाने आ रहा हूँ |
अतल अस्ताचल तुम्हे जाने न दूंगा,
अरुण उदयकाल सजाने आ रहा हूँ ||

कल्पना में आज तक उड़ाते रहे तुम,
साधना से मुड़कर सिहरते रहे तुम |
अब तुम्हे आकाश में उड़ने न दूंगा,
आज धरती पर बसाने आ रहा हूँ ||

सुख नहीं यह, नींद में सपने संजोना,
दुःख नहीं यह शीश पर गुरु भर ढोना ||
शूल तुम जिसको समझते थे अभी तक,
फूल मैं उसको बनाने आ रहा हूँ ||

फूल को जो फूल समझे, भूल है यह,
शूल को जो शूल समझे, भूल है यह |
भूल में अनुकूल या प्रतिकूल के कण,
धूलि भूलो की हटाने आ रहा हूँ ||

देखकर मंझधार में घबड़ा न जाना,
हाथ ले पतवार को घबड़ा न जाना |
मैं किनारे पर तुम्हे थकने न दूंगा,
पार मैं तुमको लगाने आ रहा हूँ ||

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत काव्यांश में क्या सन्देश व्यक्त हुआ है?
उत्तर. प्रस्तुत काव्यांश में कवि न देश के नवयुवको को सन्देश दिया है कि वे कोरी कल्पनाओं को छोड़कर यथार्थ को समझने का प्रयास करें | जीवन में आलस्य, निराशा, अधीरता और संकीर्णता को त्यागकर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर बने और दासता अस्वीकार कर वंदनीय बनने का प्यास करें, तभी देश का कल्याण और उनका जीवन सफल हो सकेगा |

(ख) ‘शूल को जो शूल समझे, भूल है यह’- कवी न ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर. ‘शूल’ का अर्थ है दुःख और बाधा| दुःख से मत घबराओ तथा घबराकर पीछे भी मत हटो | उससे सबक लो, उसका मुकाबला करो और ऐसा काम करो कि हमारे तथा दुसरो के दुःख वेदना से मुक्त रहे | अतएव शूल से मत घबराओ, अपितु उससे प्रेरणा प्राप्त करो|

(ग) ‘अरुण उदयाचल सजाने आ रहा हूँ ‘- इसका क्या आशय है?
उत्तर. रात्रि के बढ़ प्रभातकाल होता है, अस्ताचल के बाद उदयाचल पर आभा फैलती है| इसी प्रकार जीवन में निराशा के बाद आशा का संचार करो, आलस्य के स्थान पर सक्रियता अपनाओ| तभी जीवन मार्ग प्रशस्त हो सकेगा|

(घ) ‘गीत गाकर मैं जगाने आ रहा हूँ’ में कवी किसे जगाने की बात कह रहा है और क्यों? समझाइये |
उत्तर. इसमें कवि नवयुवको को जगाने कि बात ख रहा है; क्योकि आज का नवयुवक आलस्य, अधीरता और संकीर्णता को अपना सुख मानकर कल्पनाओं में जी रहा है|

(ड़) ‘अब तुम्हे आकाश में उड़ने न दूंगा’ से कवी का क्या आशय है?
उत्तर. कवि उन नवयुवको को सचेत करते है जो कल्पनाओं के संसार में जी रहे है, उन्हें कोरी कल्पनाओं को छोड़कर यथार्थ जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए|


14 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

उठे राष्ट्र तेरे कंधो पर,
बढे प्रगति के प्रांगण में,
पृथ्वी को रख दिया उठाकर
तूने नभ के आँगन में |

तेरे प्राणो के ज्वरो पर,
लहराते है देश सभी,
चाहे जिसे इधर कर दे तू
चाहे जिसे उधर क्षण में |

विजय वैजयंती फहराती जो,
जग के कोने – कोने में,
उनमे तेरा नाम लिखा है
जीने में बलि होने में |

घहरे राण घनघोर बढ़ी
सेनाए तेरा बल पाकर,
स्वर्ण – मुकुट आ गए चरण तल
तेरे शस्त्र संजोने में |

तेरे बाहुदंड में वह बल,
जो केहरि- कटि तोड़ सके,
तेरे दृढ़ कंधो में वह बल
जो गिरी से ले होड़ सके |

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) ‘उठे राष्ट्र तेरे कंधो पर’- इसमें ‘तेरे’ किसके लिए कहा गया है?
उत्तर. प्रस्तुत काव्यांश में ‘तेरे’ शब्द देश के नवयुवको अर्थात देश के तरुणो के लिए कहा गया है; क्योकि देश कि बागडोरअब बूढ़े कि अपेक्षा जवानो के हाथो में होनी चाहिए| देश का उद्धार और चौमुखी प्रगति वे ही कर सकते है |

(ख) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव क्या है? लिखिए
उत्तर. प्रस्तुत काव्यांश के मूल भाव यह है कि संसार में जितने भी सामाजिक परिवर्तन एवं लोक कल्याण के कार्य हुए है, वे नौजवानो कि आदम्य शक्ति एवं साहस से ही हुए है | यदि वे कर्तव्य बोध और आत्मविश्वास से मंडित हो जावे, तो वे अपनी क्षमता का सही उपयोग क्र सकते है तथा विश्व में समरसता एवं मानवता कि स्थापना क्र सकते है |

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कविको तरुणोसे क्या क्या अपेक्षाएं है?
उत्तर. प्रस्तुत काव्यांश में कवि का तरुणो से ये अपेक्षाएं है-

(1) वे देश कि प्रगति और रक्षा का बाहर अपने कंधो पर ले |
(2) वे देश में सकारात्मक क्रांति और बदलाव लाये |
(3) वे मुश्किलों का मुकाबला करे और बाधाओं से जरा भी नहीं घबराये |
(4) वे कमजोर लोगों एवं पद- दलितोंकि रक्षा करे |
(5) वे अपनी शक्ति का पूरा उपयोग करे|

(घ) ‘केहरि-कटि’ से कवि क्या आशय है?
उत्तर. ‘केहरि – कटि’ शब्द वस्तुत: उपमान है| शेर की कमर लचीली और मजबूत मानी जाती है | शेर अपने शरीर की इस विशेषता से वन्य जीवों का आसानी से शिकार कर लेता है तथा अतीव वेग से दौड़ सकता है | कवि का यहां यही आशय है |

(ड़) ‘ विजय वैजयंती फहरी’ से कवि का क्या तापर्य है?
उत्तर. ‘विजय वैजयंती फहरी’ से कवि का तातपर्य यह है कि देश के नौजवान जिधर अपनी नजरे दौडा देते है अर्थात जिधर अपना पराक्रम दिखते है उधर ही अपनी विजय पताका फहरा देते है |


15. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

दिवसावसान का समय,
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या – सुंदरी परी – सी
धीरे – धीरे – धीरे |

तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर – मधुर है दोनों उसके अधर –
किन्तु जाता गंभीर – नहीं है उनमे हास – विलास |

हँसता है तो केवल तारा एक
गुंथा हआ उन घुंघराले काले – काले बालों से
ह्रदयराज्य की रानी का वह करता है अभिषेक |

अलसता की सी लता
किन्तु कोमलता की वह काली
सखी नीरवता के कंधे पर डाले बाह,
छाँह-सी अम्बर पथ से चली |

नहीं बजती उसके हाथों में कोई विणा,
नहीं होता कोई अनुराग – राग आलाप
नूपुरों में भी रुनझुन – रुनझुन नहीं
सिर्फ एक अव्यक्त शब्द सा “चुप, चुप, चुप”
है गूंज रहा सुब कहीं-

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) इस काव्यांश में किस काल का वर्णन है ?

(ख) मेघमय आसमान से कौन उतर रही है ?

(ग) संध्या – सुंदरी के अधरों की क्या विशेषता है ?

(घ) संध्या की सखी कौन है ?

(ड़) संध्या को कवि ने अलसता की सी लता क्यों कहा है ?

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) इस काव्यांश में सूर्यास्त को लेकर संधायकाल का वर्णन हुआ है |

(ख) मेघमय और बदलो से घिरे आसमान से संध्या रूपी परी जैसी नायिका धरती पर उतर रही है |

(ग) संध्या – सुंदरी के अधरों की यह विशेषता है कि वे स्वाभाविक रूप से लालिमायुक्त और सुकोमल मधुर है, लेकिन उनमे हास – विलास नहीं है |

(घ) संध्या की सखी नीरवता है, अर्थात संध्याकाल में जो निस्तब्धता रहती है, वही उसकी सखी है |

(ड़) संध्याकाल आने पर अभी प्राणी दिनभर की थकन मिटने चाहते है | इस कारण उनके शरीर आलस्य से व्याप्त रहते है | इसी कारण संध्या को अलसता फ़ैलाने वाली लता कहा गया है |

Unseen Poems for Class 12 in Hindi – अपठित काव्यांश

Students can find different types of unseen poems for class 12 CBSE board exam preparation. At the end of every poem, we have also provided you with answers to unseen poem class 12 given above.

So, first, solve the above-unseen poem in class 12 and compare your answer with their original answer in this way you can boost your performance. Now, You can easily obtain higher marks in the unseen poem class 12.

If you take too much time in solving the unseen poem class 12 takes a clock to focus on how much time you are spending.

By doing this, you can easily manage your time to solve the unseen poem Class 12. You can also visit the unseen passage class 11 in Hindi.

Don’t take stress, just focus on practicing unseen poem class 12. You will definitely score high marks on your exam.

We believe that unseen poem class 12 should reach every student who is aiming to score higher marks in the CBSE board exam. This unseen poem class 12 was prepared by our expert

(FAQ) Frequently Asked Questions-Unseen Poems for class 12

Q.1 How do I manage time in unseen poem class 12?

Answer: Take a clock and set the time in which you should just complete all questions.If you can’t complete the poem in that time.don’t worry, find that part in which you take a long time to solve the question. By doing this, you can easily manage your time to solve the question of passage.

Q.2: What is the difference between seen and unseen poems in class 12?

Answer: A Seen poem is a poem that you have already read and know what is in it.While in unseen poems, you are not familiar with the poem and don’t know what is in it.

Q.3: What precautions should we take before writing the answer in unseen poem class 12?

Answer: Do not try to write the answer without reading the poem Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all the answers to avoid any mistake

Q.4: How do we score high marks in unseen poem class 12?

Answer: Study the question before reading the poem. After that, read the poem and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.

Q.5: How will I prepare myself to solve the unseen poem in class 12?

Answer: In the Exam, you will be given a small part of any poem and you need to answer them to score good marks in your score. So firstly understand what question is being asked. Then, go to the passage and try to find the clue for your question. Read all the alternatives very carefully. Do not write the answer until you feel that you have selected the correct answer.

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