Unseen Poems for Class 11 in Hindi – अपठित काव्यांश

Unseen Poems for Class 11 is the most essential part of scoring higher marks in your exam…Reading the unseen poem class 11 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill.

Students who are planning to score higher marks in class 11 Hindi poems should practice the Hindi poem for class 11 before attending the CBSE board exam.

It is compulsory to solve the unseen poem in class 11 because you need to score higher marks in your exam.

To improve your skills, we have provided you with the unseen poem class 11 with answers.

While Solving the poem, you will see some unseen poems in class 11 with MCQs also present in them.

It is provided to make yourself an expert by solving them and scoring good marks in your exam. You can also practice unseen passage class 11 in Hindi.

Steps to attempt Unseen Passage class 11

Before solving the poem, we want to give you some tips to help you in unseen poems in class 11

  • 1-Read each and every one of the lines carefully in the poem. Read the poem twice, it will help you understand more about the poem and make it less difficult for you to find the answer.
  • 2-If the poem has the title, then read it first as it gives you the basic idea about the poem.
  • 3-While reading the poem underline all the words which you find difficult because you can be tested on those words in the vocabulary question.
  • 4-Always give importance to the beginning and end of the poem because they often have the most important information of the poem.
  • 5-While answering the question, be sure you have completely understood the question because the answer should be relevant. Don’t try to give a general answer.
  • 6-Ensure that you answer the question as it carries how much mark is needed. The subjective question should be answered in complete sentences.
  • 7-Write the answer in your own language and modify the answer according to the question.
  • 8-Answer should be derived from the information in the given poem.
  • 9-Ensure that you use a similar tense in which the question has been asked.
  • 10-IN MCQs read the questions and options properly before choosing the correct option because all options are often related.
  • 11- Write the correct question number in the answer sheet to avoid mistake

अपठित काव्यांश

अपठित काव्यांश क्या है?
वह काव्यांश, जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण-क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।

परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा में विद्यार्थियों को अपठित काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित पाँच लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न पाँच अंक के होंगे।

अपठित काव्यांश हल करने की विधि :

  • प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
  • सर्वप्रथम काव्यांश का दो-तीन बार अध्ययन करें ताकि उसका अर्थ व भाव समझ में आ सके।
  • प्रश्नों के उत्तर काव्यांश के आधार पर ही दीजिए।
  • तत्पश्चात् काव्यांश से संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।
  • प्रश्नों के पढ़ने के बाद काव्यांश का पुनः अध्ययन कीजिए ताकि प्रश्नों के उत्तर से संबंधित पंक्तियाँ पहचानी जा सकें।
  • उत्तरों की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।

Unseen Poem class 11 with answers

01. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

‘सर! पहचाना मुझे?’
बारिश में भीगता आया कोई
कपड़े कीचड़-सने और बालों में पानी।
बैठा। छन-भर सुस्ताया। बोला, नभ की ओर देख-
खाली हाथ वापस कैसे जातीं!
‘घरवाली तो बच गईं
दीवारें ढहीं, चूल्हा बुझा, बरतन-भाँडे
जो भी था सब चला गया।
पर प्रसाद-रूप में बचा है नैनों में थोड़ा खारा पानी
पत्नी को साथ ले, सर, अब लड़ रहा हूँ
ढही दीवार खड़ी कर रहा हूँ
कीचड़ निकाल फेंक रहा हूँ।’
‘गंगा मैया पाहुन बनकर आई थीं’
झोंपड़ी में रहकर लौट गईं।
नैहर आई बेटी की भाँति
चार दीवारों में कुदकती-फुदकती रहीं
मेरा हाथ जेब की ओर जाते देख
वह उठा, बोला-‘सर पैसे नहीं चाहिए।
जरा अकेलापन महसूस हुआ तो चला आया
घर-गृहस्थी चौपट हो गई,
रीढ़ की हड्डी मज़बूत है सर!
पीठ पर हाथ थपकी देखकर
आशीर्वाद दीजिएकादा-
लड़ते रहो।’

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) बाढ़ की तुलना मायके आई हुई बेटी से क्यों की गई है?
उत्तर– बाढ की तुलना मायके आई हई बेटी से इसलिए की है क्योंकि शादी के बाद बेटी अचानक आकर मायके से बहुत कुछ सामान लेकर चली जाती है। इसी तरह बाढ़ भी अचानक आकर लोगों की जमापूँजी लेकर ही जाती है।

(ख) बाढ़ का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर– बाढ़ से घर की दीवारें ढह गई, चूल्हा बुझ गया तथा घर का सामान बाढ़ में बहकर चला गया।

(ग) ‘सर’ का हाथ जेब की ओर क्यों गया होगा?
उत्तर– ‘सर’ का हाथ जेब की ओर इसलिए गया होगा ताकि वह बाढ़ में अपना सब कुछ गँवाए हुए व्यक्ति की कुछ आर्थिक सहायता कर सके।

(घ) आगंतुक ‘सर’ के घर क्यों आया था?
उत्तर– आगंतुक ‘सर’ के घर आर्थिक मदद माँगने नहीं आया था। वह अपने अकेलेपन को दूर करने आया था। वह ‘सर’ से संघर्ष करने की क्षमता का आशीर्वाद लेने आया था।

(ङ) कैसे कह सकते हैं कि आगंतुक स्वाभिमानी और संघर्षशील व्यक्ति है?
उत्तर– आगंतुक के घर का सामान बाढ़ में बह गया। इसके बावजूद वह निराश नहीं था। उसने मकान दोबारा बनाना शुरू किया। उसने ‘सर’ से आर्थिक सहायता लेने के लिए भी इनकार कर दिया। अतः हम कह सकते हैं कि आगंतुक स्वाभिमानी और संघर्षशील व्यक्ति है।

(च) गंगा मैया किसकी तरह बनकर आई थी?
उत्तर– गंगा मैया मेहमान की तरह आई थी।


02. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

“निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिये
तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,
तुम कल्पना करो।
अब देश है स्वतन्त्र, मेदिनी स्वतन्त्र है
मधुमास है स्वतन्त्र, चाँदनी स्वतन्त्र है,
हर दीप स्वतन्त्र, रोशनी स्वतन्त्र है।
अब शक्ति की ज्वलन्त दामिनी स्वतन्त्र है।
लेकर अनन्त शक्तियाँ संघ समृद्धि की
तुम कामना करो, किशोर कामना करो,
तुम कामना करो।”

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– कवि नवयुवकों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कह रहा है कि तुम्हें नयी-नयी आजादी मिली है फलतः राष्ट्र को सजाने-सँवारने का काम तुम्हारे कंधों पर टिका है। अपनी पृथ्वी, अपना मधुमास एवं चाँदनी भी स्वतन्त्र है, प्रत्येक दीपक स्वतन्त्र है। शक्ति उदात्त स्रोत दामिनी (बिजली) भी स्वतन्त्र है। अतः इन शक्तियों के माध्यम से देश का नया निर्माण करना है।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक—देश का नव निर्माण’।


03. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

क्रुद्ध नभ के वज्रदंतों,
में उषा है मुस्कराती,
घोर, गर्जनमय गगन के,
कंठ में खग-पंक्ति गाती।
एक चिड़िया चोंच में तिनका,
लिये जो जा रही है,
वह सहज में ही पवन,
उनचास को नीचा दिखाती।
नाश के दुःख से कभी,
दबता नहीं निर्माण का सुख,
प्रलय की निस्तब्धता से,
सृष्टि का नवगान फिर-फिर।
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
सृष्टि का निर्माण फिर-फिर।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मानव को सदैव आशा के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी है। जैसे आकाश में काले बादलों के पश्चात् प्रात:काल उषा का आगमन होता है। आकाश में बादल घोर गर्जना करते हैं। पक्षी उसकी तनिक भी परवाह न करके अपने घोंसला बनाने में संलग्न रहते हैं। इसी प्रकार सृष्टि में दुःख-सुख का चक्र चलता है। प्रलय के पश्चात् नया जीवन प्रारम्भ होता है।

(ख) इस पद्यांश का शीर्षक लिखो।
उत्तर– शीर्षक ‘नव निर्माण’।


04. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

पूछो सिकता-कण से हिमपति !
तेरा वह राजस्थान कहाँ?
वन-वन स्वतंत्रता दीप लिये।
फिरने वाला बलवान कहाँ?।
री कपिलवस्तु ! कहे बुद्धदेव
के वे मंगल-उपदेश कहाँ?।
तिब्बत, ईरान, जापान, चीन
तक गये हुए सन्देश कहाँ?
वैशाली के भग्नावशेष से
पूछ लिच्छवी-शान कहाँ
ओ री उदास गंडकी ! बता
विद्यापति-कवि के गाने कहाँ?
तू तरुण देश से पूछ अरे!
पूँजा कैसा.यह ध्वंस-राग?
अम्बुधि-अन्तस्थल-बीच छिपी
यह सुलग रही है कौन आग?
प्राची के प्रांगण-बीच देख
जल रहा स्वर्ण-युग-अग्नि ज्वाल,
तू सिंहनाद कर जाग तपी!
मेरे नगपति ! मेरे विशाल !

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि ने सिकता-कण से क्या पूछने के लिए कहा है?
उत्तर– कवि ने सिकता-कण से कहा है कि आज मातृभूमि की स्वतंत्रता की ज्योति जलाने वाला और प्राण-पण से मातृभूमि का उद्धार करने वाला राणा प्रताप कहाँ है? “

(ख) महात्मा बुद्ध के ज्ञानोपदेश कहाँ-कहाँ तक गये थे?
उत्तर– महात्मा बुद्ध के ज्ञानोपदेश तिब्बत, ईरान, जापान, चीन आदि देशों तक गये, अर्थात् वहाँ पर भी बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ उससे मानवता का कल्याण ही हुआ।

(ग) प्राची के प्रांगण-बीच क्या जल रहा है?
उत्तर– प्राचीनकाल में भारत मानव-सभ्यता में अग्रणी देश था, यहाँ मानवता का स्वर्ण-युग था। पूर्व दिशा के प्रांगण में उसी स्वर्ण-युग की ज्वाला अभी भी जल, रही,

(घ) ‘ओ री उदास गंडकी’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– कवि का तात्पर्य है कि जो गंडक नदी कभी मैथिल कोकिल विद्यापति के गान की स्वर लहरियों से गूंजती थी, वह नदी आज ऐसे कवि के अभाव में उदासीन है।

(ड) ‘तू सिंहनाद कर जाग तपी’ कहकर कवि किसे जगाने का प्रयास कर रहा है?
उत्तर– यहाँ कवि ‘तपी’ कहकर हिमालय को जगाने का प्रयास कर रहा है क्योंकि यह हिमालय तेजस्वी तपस्वियों की तपस्थली रहा है।


05. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मैंने अपना दुख-दर्द, तुमसे नहीं,
लेखनी से कहा था;
अगर उसने तुम तक नहीं पहुँचाया
तो मैं तुम्हें दोष नहीं देता।
मैंने अपना दुख-दर्द, तुमसे नहीं,
काग़ज़ से कहा था;
अगर तुमने मुझे नहीं समझा
तो मैं तुम्हें दोष नहीं देता।
मैंने अपना दुख-दर्द, तुमसे नहीं,
शब्दों से कहा था;
अगर तुमने मुझे संवेदना नहीं दी
तो मैं तुम्हें दोष नहीं देता।
मैंने अपना दुख-दर्द, तुमसे नहीं,
काली रातों से कहा था,
गूँगे सितारों से कहा था,
सूने आसमानों से कहा था;
अगर उनकी प्रतिध्वनि
तुम्हारे अन्तर से नहीं हुई
तो मैं तुम्हें दोष नहीं देता।
राग से साधे अपनी चाल।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि ने अपने दुख-दर्द का वर्णन किनके-किनके समक्ष किया है?

(ख) कवि को संवेदना किसने नहीं दी?

(ग) सितारों को गूँगा क्यों कहा गया है?

(घ) ‘सूने आसमान’ का अभिप्राय स्पष्ट करें।

(ड) ‘उनकी प्रतिध्वनि’ के माध्यम से कवि ने क्या इंगित किया है?


06. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

थूके, मुझ पर त्रैलोक्य भले ही थूके,
जो कोई जो कह सके, कहे, क्यों चूके?
छीने न मातृपद किंतु भरत का मुझसे,
हे राम, दुहाई करूँ और क्या तुझसे?
कहते आते थे, यही सभी नरदेही,
माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही।
अब कहें सभी यह हाय ! विरुद्ध विधाता,
है पुत्र ! पुत्र ही, रहे कुमाता माता।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) पहली पंक्ति में कैकेयी ने ऐसा क्यों कहा -मुझ पर त्रैलोक्य भले ही थूके?

(ख) कैकेयी राम से क्या प्रार्थना कर रही है?

(ग) माता और पुत्र के संबंध में क्या उक्ति चली आ रही है?

(घ) यह उक्ति क्यों प्रसिद्ध है?

(ड) कैकेयी के अनुसार इस लोक प्रसिद्ध उक्ति में क्या परिवर्तन आया है तथा क्यों?


07. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।
पुरुष वया, पुरुषार्थ हुआ न जौ,
हृदय की सब दुर्बलता तजो।
प्रबल जो तुम में पुरुधार्थ हो,
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो?
प्रगति के पथ में विचारों उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।

न पुरुषार्थ बिना कुछ स्वार्थ है,
न पुरुषार्थ बिना परमार्थ है।
समझ लो यह बात यथार्थ है।
कि पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ है।
भुवन में सुख–शांति भरो, उठो।
पुरुष हो. पुरुषार्थ करो, उठौ।।

न पुरुषार्थ बिना स्वर्ग है.
न पुरुषार्थ बिना अपसर्ग है।
न पुरुषार्थ बिना क्रिसत कहीं,
न पुरुषार्थ बिना प्रियता कहीं।
सफलता वर तुल्य बरो, जठौ ।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो उठी।।

न जिसमें कुछ पौरुष हो यहाँ
सफलता वह पा सकता कहाँ ?
अपुरुषार्थ भयंकर पाप है,
न उसमें यश है, न प्रताप हैं।
न कृमि–कीट समान मरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) काव्यांश के प्रथम भाग के माध्यम से कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है?
उत्तर– इसके माध्यम से कवि ने मनुष्य को प्रेरणा दी है कि वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाए।

(ख) मनुष्य पुरुषार्थ से क्या क्या कर सकता है।
उत्तर– पुरुषार्थ से मनुष्य अपना व समाज का भला कर सकता है। वह विश्व में सुख-शांति की स्थापना कर सकता है।

(ग) ‘सफलता बर तुल्य वरो, उठो–पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– इसका अर्थ है कि मनुष्य निरंतर कर्म करे तथा वरदान के समान सफलता को धारण करे। दूसरे शब्दों में, जीवन में सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक है।

(घ) अपुरुषार्थ भयंकर पाप है–कैसे?
उत्तर– अपुरुषार्थ का अर्थ यह है-कर्म न करना। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसे यश नहीं मिलता। उसे वीरता नहीं प्राप्त होता। इसी कारण अपुरुषार्थ को भयंकर पाप कहा गया है।

(ड) काव्यशि का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर– शीर्षक-पुरुषार्थ का महत्व। अथवा पुरुष हो पुरुषार्थ करो।


08. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

तू हिमालय नहीं तूनगंगा–यमुना
तू त्रिवेणी नहीं, तून रामेश्वरम् ।
तू महाशील की है अमर कल्पना
देश! मेरे लिए तू परम वंदनाः ।
तू पुरातन आहुत, तू नए से नया
तू महाशील की है भमर कल्पना।
देशः मेरे लिए तू महा अर्चना।
शनि–बल का समर्थक हा सर्वदा,
टू परम तत्व का नित विचारक रहा।

मेध करते नमन, सिंधु धोता चरण,
लहलहाते सहस्त्रों यहाँ खेत–वन।
नर्मदा–ताप्ती, सिंधु, गोदावरी,
हैं कराती युगों से तुझे आचमन।
शांति–संदेश देता रहा विश्व को।
प्रेम–सद्भाव का नित प्रचारक रहा।
सत्य औ’ प्रेम की है परम प्रेरणा
देश मेरे लिए तु महा अर्चना।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि का देश को ‘महाशील की अमर कल्पना‘ कहने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– कवि देश को ‘महाशील की अमर कल्पना कहता है। इसका अर्थ यह है कि भारत में महाशील के अंतर्गत करुणा, प्रेम दया, शांति जैसे महान आचरण हैं, जिनके कारण भारत का चरित्र उज्ज्वल बना हुआ है।

(ख) भारत देश पुरातन होते हुए भी नित नूतन कैसे है।
उत्तर– भारत में करुणा, दया, प्रेम आदि पुराने गुण विद्यमान हैं तथा वैज्ञानिक व तकनीकी विकास भी बहुत हुआ है। इस कारण भारत देश पुरातन होते हुए भी नित नूतन है।

(ग) तू परम तत्व का नित विचारक रहा पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– इस पंक्ति का भावार्थ यह है कि भारत ने सदा सृष्टि के परम तत्व की खोज की है।

(घ) देश का सत्कार प्रकृति केसे करती है? काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– प्रकृति देश का रात्कार विविध रूपों में करती है। मेघ यहाँ वर्षा करते हैं, सागर भारत के चरण धोता है। यहाँ लाखों लहलहाते खेत व वन हैं। नर्मदा, ताप्ती, सिंधु, गोदावरी नदियाँ भारत को आचमन करवाती हैं।

(ङ) शांति संदेश‘ रहा काव्य पंक्तिर्यो का अर्थ बताते हुए इस कथन की पुष्टि में इतिहास से कोई एक प्रमाण दीजिए।
उत्तर– इन काव्य पंक्तियों का अर्थ यह है कि भारत सदा विश्व को शांति का पाठ पढ़ाता रहा है। यहाँ सम्राट अशोक व गौतम बुद्ध ने संसार को शांति व धर्म का पाठ पढ़ाया।


09. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है।
सुख स्वर्ग–सा जहाँ है, वह देश कौन–सा है।
जिसके चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है।
जिसका मुकुटहिमालय, वह देश कौन–सा है।

नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुभा सलोना, वह देश कौन–सा है।।
जिसके बड़े रसीले, फल, कंद, नाण, मेवे।
सब अंग में सजे हैं वह देश कौन–सा है।।

जिसके सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे।
दिन–रात हँस रहे हैं, वह देश कौन–सा है।
मैदान, गिरि, वनों में हरियाली है महकती।
आनंदमय जहाँ है, वह देश कौन सा है।।

जिसके अनंत बन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन सा है।
सबसे प्रथम जगत में जो सभ्य ा यशस्वी।
जगदीश का दुलारा, वह देश कौन–सा है।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) मनमोहिनी प्रकृति की गोद में कौन सा देश बसा हुआ है और उसका पद प्रक्षालन निरतर कौन कर रहा है?
उत्तर– मनमोहिनी प्रकृति की गोद में भारत देश बसा हुआ है। इस देश का पद-प्रक्षालन निरंतर समुद्र कर रहा है।

(ख) भारत की नदियों को क्या विशेषता है?
उत्तर– भारत की नदियों की विशेषता है कि इनका जल अमृत के समान है तथा ये देश को निरंतर सचती रहती हैं।

(ग) भारत के फूलों का स्वरूप कैसा है?
उत्तर– भारत के कुल सुंदर व प्यारे हैं। दिन रात हँसते रहते हैं।

(घ) जगदीश का दुलारा देश भारत संसार का शिरोमणि कैसे है?
उत्तर– नाना प्रकार के वैभव एवं सुख-समृद्ध से युक्त भारत देश जगदीश का दुलारा तथा संसार शिरोमणि है, क्योंकि यहीं पर सबसे पहले सभ्यता विकसित हुई और संसार में फैली।

(ङ) काव्यांश को सार्थक एवं उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक-वह देश कौन-सा है?


10. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

उठे राष्ट्र तेरे कन्धों पर,
बढ़े प्रगति के प्रांगण में,
पृथ्वी को रख दिया उठाकरे
तूने नभ के आँगन में।
तेरे प्राणों के ज्वारों पर,
लहराते हैं देश सभी,
चाहे जिसे इधर कर दे तू
चाहे जिसे उधर क्षण में।
विजय वैजयन्ती फहरी जो,
जग के कोने-कोने में,
उनमें तेरा नाम लिखा है।
जीने में बलि होने में।
घहरे रन घनघोर बढ़ी
सेनाएँ तेरा बल पाकर,
स्वर्ण-मुकुट आ गये चरण-तल
तेरे शस्त्र संजोने में।
तेरे बाहुदण्ड में वह बल,
जो केहरि-कटि तोड़ सके,
तेरे दृढ़ कन्धों में वह बल
जो गिरि से ले होड़ सके।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) ‘उठे राष्ट्र तेरे कन्धों पर-इसमें ‘तेरे’ किसके लिए कहा गया
उत्तर– प्रस्तुत काव्यांश में ‘तेरे’ शब्द देश के नवयुवकों अर्थात् देश की प्रगति एवं उद्धार करने में संलग्न तरुणों के लिए कहा गया है।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव क्या है? लिखिए।
उत्तर– प्रस्तुत काव्यांश को मूल भाव यह है कि संसार में जितने भी सामाजिक परिवर्तन एवं लोक-कल्याण के कार्य हुए हैं, वे नौजवानों की अदम्य शक्ति एवं साहस स . से ही हुए हैं।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि को तरुणों से क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर– कवि को तरुणों से अपेक्षाएँ हैं कि वे देश की प्रगति व रक्षा का भार लें, कमजोर लोगों व दलितों का उद्धार करें और दुश्मनों का डटकर मुकाबला करें।

(घ) ‘केहरि-कटि’ तोड़ सके’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर– कवि का आशय है कि तरुणों की भुजाओं में अपरिमित बल है, अपनी शक्ति से असम्भव भी सम्भव कर देते हैं।

(ड़) विजय वैजयन्ती फहरी’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– ‘विजय वैजयन्ती फहरी’ से कवि का तात्पर्य यह है कि देश के नौजवान। जिधर अपनी नजरें दौड़ा देते हैं अर्थात् जिधर अपना पराक्रम दिखाते हैं उधर ही अपनी विजय-पताका फहरा देते हैं।


11. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

यह धरती है उस किसान की
जो बैलों के कन्धों पर।
बरसात घाम में,
जुआ भाग्य का रख देता है,
खून चाटती हुई वायु में,
पैनी कुसी खेत के भीतर,
दूर कलेजे तक ले जाकर,
जोत डालती है मिट्टी को,
पाँस डालकर,।
और बीज बो देता है
नये वर्ष में नयी फसल के,
ढेर अन्न का लग जाता है।
यह धरती है उस किसान की।
नहीं कृष्ण की, नहीं राम की,
नहीं भीम, सहदेव, नकुल की,
नहीं पार्थ की, नहीं राव की,
नहीं रंक की,
नहीं तेग, तलवार, धर्म की,
नहीं किसी की,
नहीं किसी की,
धरती है केवल किसान की।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि ने धरती का असली स्वामी किसे और क्यों बताया है?
उत्तर– कवि ने धरती का असली स्वामी किसान को बताया है, क्योंकि वही परिश्रम करके, धरती को उर्वरा करके अन्न उगाता है।

(ख) ‘जुआ भाग्य का रख देता है’ कथन से क्या आशय है?
उत्तर– किसान यद्यपि खेती पर रात-दिन परिश्रम करता है, तथापि वह खेती की पैदावार को अपने भाग्य का प्रतिफल मानता है।

(ग) किसान को भाग्यवादी बताने वाली पंक्ति को छाँटकर लिखिए।
उत्तर– किसान भाग्यवादी होता है, उसकी यह विशेषता इस पंक्ति से व्यक्त हुई। है—’जुआ भाग्य का रख देता है।’

(घ) प्रस्तुत कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तर– प्रस्तुत कविता का मूल भाव यह है कि किसान रात-दिन परिश्रम करके खेतों को उपजाऊ बनाता है। धरती का असली स्वामी वही है। राव, सामन्त या जमींदार तो उसका शोषण ही करते हैं।

(ड़) काव्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर– प्रस्तुत काव्यांश का शीर्षक ‘किसान की धरती’ हो सकता है।


12. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

अरे वर्ष के हर्ष
बरस तू बरस-बरस रसधार !
पार ले चल तू मुझको
बह, दिखा मुझको भी निज
गर्जन-भैरव संसार !
उथल-पुथल कर हृदय
मचा हलचल चल रे चल
मेरे पागल बादल !
धंसता दलदल,
हँसता है नद खल्-खल्
बहता, कहती कुलकुल कलकल कलकल।
देख-देख नाचता हृदय
बहने को महा विकल-बेकल,
इस मरोर से-इसी शोर से—
सधन घोर गुरु गहन रोर से
मुझे मगन का दिखा सघन वह छोर !
राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर !

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) बादल को ‘अरे वर्ष के हर्ष’ क्यों कहा गया है?
उत्तर– बादल वर्षाकाल में अर्थात् साल में एक ऋतु में बरस कर सभी प्राणियों को शान्ति एवं किसानों को खुशहाली देते हैं। इसीलिए बादलों को वर्ष के हर्ष कहा गया है।

(ख) बादल को पागल क्यों एवं किस कारण कहा गया है?
उत्तर– बादल आकाश में खूब उमड़-घुमड़ मचाते हैं, पागलों की तरह अनियन्त्रित रहकर कभी कम और कभी अत्यधिक वर्षा करते हैं। इसी कारण बादल को पागल कहा गया है।

(ग) बादल से अम्बर में क्या भरने को कहा गया है?
उत्तर– बादल को अम्बर अर्थात् आकाश में अपनी घोर गर्जना का भयानक शब्द (गड़गड़ाहट) भरने को कहा गया है।

(घ) “पार ले चल तू मुझको’ इसका क्या आशय है?
उत्तर– बादलों के वर्षण से कृषकों का जीवन खुशहाल होगा, इसलिए किसान या कवि स्वयं को पार ले चलने के लिए कहता है।

(ड़) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने बादलों से आत्मीयता दिखाते हुए उन्हें खूब बरसने के लिए कही है। साथ ही बादलों को प्राणियों का हितैषी बताया है।


13. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाये,
दो बार नही यमराज कंठ धरता है,
मरता है जो, एक ही बार मरता है |

तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे |
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे ||

उपशम को ही जाति धर्म करती है,
शम, दम, विराग को श्रेष्ठ कर्म कहती है,
धृति को प्रहार, शांति को वर्म कहती है,
अक्रोध, विनय को विजय मर्म कहती है,

अपमान कौन, वह जिसको नहीं सहेगी?
सबको असीम सबका बन दास कहेगी ||

दो उन्हें राम, तो मात्र नाम वे लेंगी,
विक्रमी शरासन से न काम वे लेंगी,
नवनीत बना देती भट अवतारी को,
मोहन मुरलीधर पांचजन्य – धारी को|

पावक को बुझा तुषार बना देती है,
गाँधी को शीतल श्रर बना देती है |

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
उत्तर– प्रस्तुत कविता का केंद्रीय भाव यह है कि पराक्रम, पुरुषार्थ एवं सक्रियता अपनाये बिना केवल विनय एवं अहिंसा से राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता | इसलिए सदा जागृति रखने को जरुरत है |

(ख) इस संसार में किस व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है?
उत्तर– जो व्यक्ति आन- बान की चिंता न करके चुपचाप अन्याय सहता है, केवल शांति को ही श्रेष्ठ कर्तव्य मानता है तथा पुरुषार्थ नहीं दिखाता है, ऐसे व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है |

(ग) कवि किस बात पर अंडे रहने के लिए कहता है?
उत्तर– कवि कहता है कि अन्याय पर भी मत झुको और हर हालत में न्यायपूर्ण बात पर अंडे रहो |

(घ) कवि ने क्या अपनानें कि बात कही है?
उत्तर– प्रस्तुत कवितांश में कवि ने अहिंसा, सहनशीलता और भीरुता को छोड़कर वीरता, ओजस्विता तथा निर्भयता अपनाने की बात कही है |

(ड़) ‘नवनीत बना देती बात अवतारी को – ऐसा किसके लिए और क्यों कहाँ गया है?
उत्तर– ऐसा कोरी अहिंसावादी नीति के लिए कहा गया है | अहिंसा से भले ही बड़े – से बड़े पराक्रमी को कोमल-ह्रदय बनाया जा सकता है, परन्तु इससे अन्याय उत्पीड़न को रोका नहीं जा सकता |


14. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

प्रभु ने तुमको कर दान किये,
सब वांछित वस्तु विधान किये |

तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है किसका वह दोष कहो?

समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो न निराश करो मन को |

किस गौरव के तुम योग्य नहीं,
कब कौन तुम्हे सुख भोग्य नहीं?

जन हो तुम भी जगदीश्वर के,
सब है जिसके अपने घर के|

फिर दुर्लभ क्या उसके मन को?
नर हो, न निराश करो मन को |

करके विधि – वाद न खेद करो,
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो |

बनता बस उद्धम ही विधि है,
मिलती जिससे सुख की निधि है |

समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को,
नर हो, न निराशा करो मन को |

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) वांछित वस्तुओं को प्राप्त न क्र सकने में किसका दोष है और क्यों ?
उत्तर– ईश्वर ने इस धरती पर अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया है और उन सभी वस्तुओं का उपभोग करने के लिए मनुष्य को दो हाथ दिए है| अतएव अपने हाथों का उचित उपयोग करके मनुष्य वांछित वस्तुओं का प्राप्त कर सकता है | यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो दोष उसी का है; क्योंकि उचित कर्म और श्रम न करने का दोष मनुष्य का ही है|

(ख) विधि – वाद का खेद कौन व्यक्त करते है ?
उत्तर– इस संसार में कुछ लोग उचित परिश्रम नहीं करते है और छोटी – छोटी बात पर भी कहते रहते है कि यह सब भाग्य का खेल है, अर्थात भाग्यवादी बनकर निराश हो जाते है | इस कारण वे लक्ष्य को प्राप्त करने का उचित प्रयास भी नहीं करते है | ऐसे लोग ही विधि – वाद का खेद व्यक्त करते है |

(ग) इस काव्यांश से क्या प्रेरणा दी गयी है ?
उत्तर– इस काव्यांश से कवि ने सभी मनुष्यों को अथवा सभी भारतीयों को यह प्रेरणा दी है कि वे निराश न हो, लक्ष्य प्राप्ति का उचित प्रयास करें| इसलिए वे कर्मनिष्ठ एवं साहसी बने तथा सभी प्राणियों में श्रेष्ठ प्राणी होने के नाते जीवन – मार्ग पर सफलता से बढ़ते जावे | वे कुछ न कुछ काम करते रहे|

(घ) काव्यांश से कवि के कौनसे विचारों का परिचय मिलता है ?
उत्तर– काव्यांश को पढ़कर कवि के विचारों के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है| इस काव्यांश से ज्ञान होता है कि कवि मानव को भाग्य को कोसते रहने कि अपेक्षा परिश्रम करके जीवन को उन्नत और सुखमय बनाने कि प्रेरणा देना चाहता है| कवि मानवीय संवेदना एवं आद्यात्मिक दृटिकोण रखता है और परहित को धर्म मानता है| वह कार्य पर विश्वास करने वाला एवं भाग्य भरोसे रहने वाला नहीं है|

(ड़) उन पंक्तियों को पहचानिए जिनसे पता चलता है कि कवि आस्तिक है, ईश्वर को मानता है|
उत्तर– कवि परिश्रम को महत्वपूर्ण मानता है और ईश्वर के प्रति भी आस्था रखता है वह ईश्वर को मनाता है इस कि द्योतक पंक्तियाँ ये है-
जन हो तुम भी जगदीश्वर के,
सब है जिसके अपने घर के|


15. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

शांति नहीं तब तक, जब तक
सुख – भाग न नर का सम हो,

नहीं किसी को बहुत अधिक हो,
नहीं किसी को कम हो|

ऐसी शांति राज्य करती है
तन पर नहीं, ह्रदय पर,

नर के ऊंचे विश्वासों पर
श्रद्धा, भक्ति, प्रणय पर |

न्याय शांति का प्रथम न्यास है
जब तक न्याय न आता |

जैसा भी हो महल शांति का |
सुदृढ़ नहीं रह पता |

कृत्रिम शांति शशंक आप
अपने से ही डरती है,

खड्ग छोड़ विश्वास किसी का
कभी नहीं करती है |

और जिन्हे इस शांति – व्यवस्था
में सुख – भोग सुलभ है,

उनके लिए शांति ही जीवन,
सार, सिद्धि दुर्लभ है |

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) सामाजिक जीवन में अशांति का क्या कारण बताया गया है ?
उत्तर– सामाजिक जीवन में आर्थिक विषमता के कारण सभी को सुख – भोग का समान अवसर न मिलना तथा न्याय का व्यवहार न होना अशन्ति का मूल कारण बताया गया है |

(ख) कृत्रिम शांति से क्या हानि संभव है ?
उत्तर– कृत्रिम शांति स्थापना से वह शांति स्थायी नहीं रहती है, क्योंकि उसमे आशंका, भय एवं विद्वेष बना रहता है, उसमे विश्वास की कमी रहती है | ऐसी शांति से यह हानि होती है की समाज का वातावरण खुश हाल नहीं रहता है |

(ग) प्रस्तुत काव्यांश से क्या प्रेरणादायी सन्देश दिया गया है ?
उत्तर– प्रस्तुत कविता में यह सन्देश दिया गया है की मानव समज के समक्ष युद्ध और शांति की जो चिर समस्या है, उसका समाधान समता, न्याय एवं परस्पर विश्वास रखने से ही हो सकता है| हमे समाज एवं राष्ट्र में शांति स्थापना के लिए समता एवं न्याय का पक्ष – पोषण करना चाहिए|

(घ) कवि किस प्रकार की शांति को महत्वपूर्ण मानता है ?
उत्तर– कवि समाज में शांति – व्यवस्था को पसंद करता है| शांति दो प्रकार से स्थापित होती है | एक तो तलवार या शक्ति के बल पर स्थापित की जाती है और दूसरी समाज में आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जा सकती है| कवि समाज में न्याय और आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जाने वाली शांति के पक्षधर है|

(ड़) देश – समाज में शांति – स्थापना का प्रथम न्यास किसे बताया गया है ?
उत्तर– देश – समाज में शांति – स्थापना का प्रथम न्याय सभी को समतामूलक न्याय मिलना बताया गया है, अर्थात समाज में सभी को न्याय मिलने से ही शन्ति स्थपित हो सकती है|


Unseen Poems for Class 11 in Hindi – अपठित काव्यांश

Students can find different types of unseen poems in class 11 CBSE board exam preparation. At the end of every poem, we have also provided you with answers to the unseen poem class 11 given above.

So, first, solve the above-unseen poem f class 11 and compare your answer with their original answer in this way you can boost your performance. Now, You can easily obtain higher marks in the unseen poem class 11.

If you take too much time in solving the unseen poem class 11 take a clock to focus on how much time you are spending.

By doing this, you can easily manage your time to solve the unseen poem Class 11. You can also visit the unseen passage class 12 in Hindi.

We believe that unseen poem class 11 should reach every student who is aiming to score higher marks in the CBSE board exam. This unseen poem class 11 was prepared by our expert

(FAQ) Frequently Asked Questions-Unseen Poem class 11

Q.1 How do I manage time in unseen poem class 11?

Answer: Take a clock and set the time in which you should just complete all questions.If you can’t complete the poem in that time.don’t worry, find that part in which you take a long time to solve the question. By doing this, you can easily manage your time to solve the question of passage.

Q.2: What is the difference between seen and unseen poems in class 11?

Answer: A Seen poem is a poem that you have already read and know what is in it.While in the unseen poem, you are not familiar with the poem and don’t know what is in it.

Q.3: What precautions should we take before writing the answer in an unseen poem class 11?

Answer: Do not try to write the answer without reading the poem Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.

Q.4: How do we score high marks in unseen poem class 11?

Answer: Study the question before reading the poem. After that, read the poem and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.

Q.5: How will I prepare myself to solve the unseen poem in class 11?

Answer: In the Exam, you will be given a small part of any poem and you need to answer them to score good marks in your score. So firstly understand what question is being asked. Then, go to the passage and try to find the clue for your question. Read all the alternatives very carefully. Do not write the answer until you feel that you have selected the correct answer.

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