Unseen Passage for Class 6 in Hindi: अपठित गद्यांश

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Unseen Passage for Class 6
Unseen Passage for Class 6

Unseen Passage for Class 6 in Hindi

अपठित गद्यांश

‘अपठित’ शब्द का अर्थ है वह जो पहले न पढ़ा गया हो। पाठ्यपुस्तकों से अपठित अंश नहीं दिए गए हैं। ये ऐसे अंश हैं जिन्हें छात्रों ने कभी नहीं पढ़ा है। इस तरह के पैसेज देकर छात्रों से उनके आधार पर सवाल पूछे जाते हैं। अपठित परिच्छेदों का उत्तर देने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • दिए गए गद्यांश को कम से कम दो या तीन बार अवश्य पढ़ें।
  • Apathit Gadyansh से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर देते समय कम से कम शब्दों में अपने उत्तर को स्पष्ट करना चाहिए।
  • प्रश्नों के उत्तर को पूरी तरह से समझें और सरल भाषा में लिखें।
  • भाषा व्याकरणिक होनी चाहिए।
  • Gadyansh के भाव को भी समझने का प्रयास करना चाहिए, यह उत्तर देने मे सहज होता है।
  • उत्तर किसी गद्यांश या कविता से होना चाहिए। इसमें अपने विचार शामिल करके उत्तर न दें।
  • सभी उत्तर देने के बाद उन्हें एक बार अवश्य पढ़ें।

01 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

एक समय की बात है जब मेरे पिताजी की नई- नई शादी हुई थी। उस समय मैं भी नहीं था। परंतु मैं यह अनुमान लगाया कि पिताजी मुझे कैसे पाले होंगे? वे मेरे जीवन को प्रकाश में ले जाने के लिए अपने जीवन को पग- पग पर कार्यरत रखते हुए अपने को कष्ट पहुंचाते हैं बिना विचार- विमर्श किए कि जब मेरा पुत्र युवा होगा तब मुझसे कैसा बर्ताव करेगा।

बस उनकी उम्मीद यहीं रहती है कि जब मैं बूढ़ा हो जाऊं तब मेरा पुत्र मेरे बुढ़ापे की लाठी बनकर मेरी सहायता करे। इसके सिवा उनके मन में अन्य बात भी नहीं आती। परंतु आधुनिक समय में बहुत ही अल्प संख्यक ऐसा पुत्र होगा जो अपने माता- पिता की जीवन काल में ऐसा बर्ताव रखता होगा। इस समय हमें अपने उस माता- पिता का ध्यान रखना होगा।

क्योंकि जब हम इस दुनिया में प्रवेश किए तो वे हमें अपना हर वो मूल्यवान समय मूल्यवान वस्तुएं दिलाई जिसका हम अंदाजा तक नहीं लगा सकते। विपत्ति में सबसे पहले और सबसे अधिक साथ देने वाले हमारे माता- पिता होते हैं। इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि आप भी अपने माता- पिता का ख्याल रखें। आप सभी से यही निवेदन है कि आप उनके बुढ़ापे में लाठी का सहारा जरुर बनें।

सीख :- इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि सुख हो अथवा दुःख माता- पिता उन दोनों समय के साथी होते हैं तो आप भी इनके हरेक पल में साथी और पुत्र होने का कर्तव्य पालन करें।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

क. दिए गए प्रश्न में से सही और गलत का चयन करें:-

  1. हमे अपने माता-पिता की बुढ़ापे की लाठी बनकर उनकी सहायता करनी चाहिए।
  2. विपत्ति में सबसे पहले और सबसे अधिक साथ देने वाले हमारे मित्र होते हैं।

ख. विलोम शब्द बतावें:-

  1. अल्पसंख्यक
  2. मूल्यवान

ग. पर्यायवाची शब्द लिखें:-

  1. पुत्र
  2. माता

घ. रिक्त स्थान को पूर्ति करें:-

  1. माता- पिता के बुढ़ापे में लाठी का______जरुर बनें।
  2. अपने माता- पिता का____________ख्याल रखे।

ङ. इन प्रश्नों के उत्तर देवें:-

  1. यह अनुमान लगाओ कि आपले पिताजी ने आपको कैसे पाला होंगा?
  2. माता- पिता अपने बच्चो से क्या उम्मीद रखते है?

02 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

सदाचार के कुछ सामान्य नियम हैं। सत्यवादिता सदाचारी का प्रथम लक्षण है। सदाचारी व्यक्ति कभी अपने जीवन में झूठ को स्थान नहीं देते हैं। वे अपने परिश्रम की कमाई खाते हैं। उनका जीवन सादा और विचार उच्च होते हैं। वे सांसारिक भोगों से कोसों दूर रहते हैं। सदाचारी व्यक्ति कभी अपना समय व्यर्थ नहीं खोते। उनका जीवन नियमित एवं संयमित होता है। वे किसी भी काम को कल के सहारे नहीं छोड़ते। वे अपना काम स्वयं ही करते हैं। जहाँ तक संभव होता है, वे प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करते हैं। इससे वे सबके प्रियजन बन जाते हैं। ईश्वर की पूजा-अर्चना भी सर्वोपरि सदाचार में आता है। सदाचारी अपनी इन्द्रियों को वश में रखते हैं। क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और निन्दा आदि सदाचार के दुश्मन हैं। जो इन्हें त्याग देते हैं, वही सच्चे सदाचारी कहलाते हैं। सदाचार के अभाव में धन, सम्पत्ति, वैभव या अन्य उपलब्धियाँ निरर्थक हो जाती हैं। कहा भी गया है-सदाचार के अभाव में विद्या और धन अन्धे हैं एवं ऐसा धन और ऐसी विद्या संसार के लिए हानिकारक हैं। ‘आँख का अन्धा और गाँठ का पूरा’ कभी समाज में प्रतिष्ठा या आदर नहीं पा सकता है। यही कारण था कि रावण जैसा धनवान, पराक्रमी और विद्वान सदाचार के अभाव में आदर का पात्र नहीं बन सका। ठीक इसके विपरीत राम अपने सदाचार के सहारे ही विश्ववन्द्य हो गए।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) ______सदाचारी का प्रथम लक्षण है। (वाक्य पूरा कीजिए)
(a) आराम करना
(b) सत्यवादिता
(c) कर्म करने से दूर रहना
(d) दूसरों के भरोसे रहना

उत्तर- (b)

(ख) निम्नलिखित में से कौन-सा गुण सदाचारी का नहीं है ?
(a) सादा और उच्च विचार
(b) नियमित एवं संयमित जीवन
(c) ऐशो आराम का जीवन
(d) परिश्रम की कमाई

उत्तर- (c)

(ग) सदाचारी______सबके प्रियजन बन जाते हैं। (सही शब्दों से वाक्य पूरा कीजिए)
(a) प्रत्येक व्यक्ति की खुशामद करके
(b) प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करके
(c) प्रत्येक व्यक्ति की बात मान करके
(d) प्रत्येक व्यक्ति को बहलाकर करके

उत्तर- (b)

(घ) कैसे व्यक्ति सच्चे सदाचारी कहलाते हैं?
(a) क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और निन्दा आदि का त्याग करने वाले
(b) अपना काम करने वाले
(c) किसी पर ध्यान न देने वाले
(d) सदा चुपचाप रहने वाले

उत्तर- (a)

(ड़) ‘आँख का अन्धा और गाँठ का पूरा’ का अर्थ है (सही अर्थ का चयन कीजिए।)
(a) जिसे दिखाई न दे
(b) मूर्ख लेकिन धनी
(c) बहुत अमीर
(d) बहुत बड़ा मूर्ख

उत्तर- (b)

03 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

स्वावलम्बी व्यक्ति के सामने असम्भव कार्य भी सम्भव दीखने लगता है। स्वावलम्बन के दो पहलू हैंआत्मनिश्चय और आत्मनिर्भरता । इसे इस दृष्टान्त से अच्छी तरह समझा जा सकता है- एक बार विधाता अपनी सृष्टि को देखने निकले। धरती पर पहुँच कर उन्होंने देखा कि एक किसान फावड़ा लेकर विशाल पर्वत की जड़ खोद रहा है। उन्होंने किसान से इसका कारण पूछा। किसान ने बताया-बादल आते हैं और इस पर्वत से टकराकर इसकी दूसरी ओर वर्षा कर देते हैं। मेरे खेत सूखे ही रह जाते हैं। अतएव इसे मैं हटाकर ही दम लूँगा। विधाता किसान के स्वावलम्बन से प्रभावित होकर आगे बढ़े। तभी पर्वत गिड़गिड़ाने लगा-भगवान् इस किसान से मेरी रक्षा कीजिए। विधाता ने पूछा ‘तुम एक छोटे से किसान से इतने भयभीत हो? पर्वत बोला-‘किसान छोटा है तो क्या? वह स्वावलम्बी है। उसका आत्मविश्वास अडिग है। इन दोनों के सहारे वह मुझे हटाकर ही दम लेगा।’ इसके ठीक विपरीत छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहना पावलम्बन कहलाता है। परावलम्बी व्यक्ति हाथ रहते लेला और पैर रहते लंगड़ा रहता है। जिसमें अपने पैरों पो खड़े होने का सामर्थ्य नहीं है, वह दूसरों का कन्धा पकड़कर कब तक चलता रहेगा? एक झटका लगते ही ऐसा व्यक्ति धराशायी हो जाता है। इसे इस दृष्टांत से समझा जा सकता है। मेज के सहारे एक शीशा रखा था। चंचल बालक ने मेज को थोड़ा-सा अलग कर दिया और शीशा गिरकर चूर-चूर हो गया। अतःजीवन में जो व्यक्ति दूसरों के सहारे खड़ा होना चाहते हैं, उनका अंने भी ऐसा ही करुण होता है। कहा भी गया है ईश्वर भी उसी की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वसं करता है।
विश्व-इतिहास ऐसे महापुरुषों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने स्वावलम्बन का सहारा लिया है। महाकवि तुलसीदास बचपन से ही अनाथ थे। वे दाने-दाने के लिए भी मुहताज रहते थे, फिर भी आत्मनिर्भरता के सहारे ही स्वतंत्र लेखन का कार्य कर भारत के लोककवि कहलाये।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) स्वावलम्बन के दो पहलू कौन-कौन हैं?
(a) परिश्रम और दूसरों का सहारा
(b) आत्मनिश्चय और आत्मनिर्भरता
(c) मेहनत और पड़ोसियों से सहायता लेना
(d) आराम के साथ-साथ सभी पर भरोसा

उत्तर- (b)

(ख) परावलम्बन किसे कहते हैं ? (सही कथन का चयन कीजिए।)
(a) दूसरों से काम लेना
(b) दूसरों पर भरोसा करके काम बन्द कर देना
(c) छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहना
(d) पराये काम में सहायता करना

उत्तर- (c)

(ग) ‘परावलम्बन’ सन्धि विच्छेद कीजिए।
(a) परा + वलम्बन
(b) पर + अवलम्बन
(c) पर + आवलम्बन
(d) (b) परा + अवलम्बन

उत्तर- (b)

(घ) ईश्वर भी उसी की सहायता करता है, जो______। (उपयुक्त कथन से वाक्य पूरा कीजिए)
(a) दूसरों से सहायता लेते हैं
(b) दूसरों का विरोध करते हैं
(c) अपनी सहायता स्वयं करता है
(d) किसी की सहायता नहीं करता है

उत्तर- (c)

(ड़) तुलसीदास किस प्रकार भारत के लोककवि कहलाए?
(a) बिना परिश्रम किए
(b) दूसरों की कृपा से
(c) आत्मनिर्भरता के सहारे ही स्वतंत्र लेखन का कार्य करके
(d) जगह-जगह प्रचार करके

उत्तर- (c)

04 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

बाँध नहर अथवा नदी पर जल के प्रवाह को रोकने का उपयोग किया जा सकता है। बाँध लघु, मध्यम तथा बड़े हो सकते हैं। बड़े बाँधों का निर्माण करना अधिक जटिल होता है। इनमें अत्यधिक कार्य, शक्ति, समय तथा धन खर्च होता है। बाँध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है। भाखड़ा बाँध, सरदार सरोवर, टिहरी बाँध इत्यादि बड़े बाँधों के उदाहारण हैं। एक बाँध की इसके पीछे के पानी के भार को वहन करने की क्षमता अत्यावश्यक होती है। बाँध पर || धकेले जाने वाली जल की मात्रा को जल-दाब कहते हैं। जल-दाब जल की गहराई के साथ बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप कई बाँधों का तल चौड़ा होता है जिससे यह सतह के काफी नीचे भाग में बहने वाले जल का भार वहन कर सके। वर्षों से बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण में वृद्धि तथा कृषि में विस्तार होने से जल की माँग बढ़ती जा रही है। अतएव जल संरक्षण आज की आवश्यकता बन गई है। वर्षा जल संचयन मुख्यतः भवनों की छतों पर इकट्ठा करके भूमि में संरक्षण करके आगे काम में लेने की प्रक्रिया है। इसके लिए यह अत्यावश्यक है कि भू-जल की गिरावट तथा भू-जल स्तर में सुधार किया जाए तथा समुद्र के जल का अंतर्गमन अर्थात समुद्री जल को भूमि की तरफ आने से रोका जाए और वर्षा के मौसम में जल का संरक्षण किया जाए।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) बड़े बाँधों का निर्माण करना अधिक जटिल क्यों होता है?
(a) अत्यधिक कार्य, शक्ति, समय तथा धन खर्च होने के कारण
(b) इनकी जरूरत कम पड़ती है
(c) ये व्यर्थ होते हैं
(d) ये जनता के लिए हानिकारक होते हैं

उत्तर- (a)

(ख) बाँध का निर्माण____________से भी किया जा सकता है। (वाक्य पूरा कीजिए।)
(a) केवल कंक्रीट किया जा सकता है
(b) चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से ही किया जा सकता है
(c) कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है
(d) केवल लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है

उत्तर- (c)

(ग) जल-दाब कहते हैं?
(a) जल पर पड़े दबाव को जल-दाब कहते हैं
(b) बाँध पर धकेले जाने वाली जल की मात्रा को जल-दाब कहते हैं
(c) जल को दबानेवाले दाब को
(d) बाँध पर पड़े दबाव को जल-दाब कहते हैं

उत्तर- (b)

(घ) जल संरक्षण____________। (सही कथन से वाक्य पूरा करो।)
(a) वर्षा-जल भवनों की छतों पर इकट्ठा करना
(b) वर्षा-जल को मुख्यतः भवनों की छतों पर इकट्ठा करके, भूमि में संरक्षण करके, आगे काम में लेने की प्रक्रिया है
(c) वर्षा के जल को आगे काम में लेने की प्रक्रिया
(d) जल को बर्तनों में भरकर भविष्य के लिए रखना

उत्तर- (b)

(ड़) ‘अत्यावश्यक’ का सन्धि-विच्छेद है
(a) अत्या + वश्यक
(b) अति + आवश्यक
(c) अति + अवश्यक
(d) अत्या + आवश्यक

उत्तर- (b)

05 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

बढ़ती जनसंख्या ने अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है-रोटी, कपड़ा, मकान की कमी, बेरोजगारी, निरक्षता, कृषि एवं उद्योगों के उत्पादनों में कमी आदि। हम जितनी अधिक उन्नति करते हैं या विकास करते हैं, जनसंख्या उसके अनुपात में बढ़ जाती है। बढ़ती जनसंख्या के समक्ष हमारा विकास बहुत कम रह जाता है और विकास कार्य दिखाई नहीं देते। बढ़ती जनसंख्या के समक्ष सभी सरकारी प्रयास असफल दिखाई देते हैं। कृषि उत्पादन और औद्योगिक विकास बढ़ती जनसंख्या के सामने नगण्य सिद्ध हो रहे हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या वृद्धि पर नियत्रंण की अति आवश्यकता है। इसके बिना विकास के लिए किए गए सभी प्रकार के प्रयत्न अधूरे रह जाएँगे।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) बढ़ती जनसंख्या से किसमें कमी आई है?
(i) बेरोजगारी
(ii) गरीबी
(iii) निरक्षरता
(iv) कृषि एवं उद्योगों के उत्पादनों में

उत्तर- (iv)

(ख) जनसंख्या बढ़ने से किन चीजों में बढ़ोत्तरी हुई है?
(i) लोगों के कार्य करने की क्षमता में
(ii) शिक्षा में
(iii) गरीबी एवं बेरोजगारी में
(iv) लोगों के स्वास्थ्य में

उत्तर- (iii)

(ग) हमारा विकास कार्य दिखाई नहीं देता, क्योंकि
(i) विकास के अनुपात में जनसंख्या वृधि अधिक है।
(ii) जनसंख्या वृद्धि कम हैं।
(iii) उपर्युक्त दोनों ।
(iv) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (i)

06 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

साहस की जिंदगी रोमांचक होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि साहसी व्यक्ति इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाले आदमी दुनिया की असली ताकत होते हैं और दुनिया को प्रकाश भी उसी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना किसी और के साथ नहीं करते और न ही वे पड़ोसी की चाल देखकर अपनी चाल को मद्धिम बनाते हैं।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) साहस की जिंदगी की क्या पहचान है?
उत्तर– साहस की जिंदगी की यह पहचान होती है कि वह रोमांचक होती है, तथा साहसी व्यक्ति निडर होता है।

(ख) कैसा व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है?
उत्तर– जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है।

(ग) साधारण लोग कैसे होते हैं?
उत्तर– साधारण लोग अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलते हैं।

(घ) क्रांति करने वाले लोग कैसे होते हैं?
उत्तर– क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना किसी और के साथ नहीं करते और न उनकी चाल को देखकर अपनी चाल को मद्धिम बनाते हैं।

07 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

लगभग दो सौ वर्ष की गुलामी ने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान को पैरों से रौंद डाला, हमारी संस्कृति को समाप्त कर दिया, हमारे विश्वास को हिला दिया और हमारे आत्मविश्वास को चकनाचूर कर दिया। किंतु अपने देश से प्यार करने वाले, इसके एक सामान्य संकेत पर प्राण न्योछावर करने वाले दीवानों का अभाव न था। एक आवाज उठी और देखते-ही-देखते राष्ट्र का दबा हुआ आत्माभिमान उन्मत्त हो उठा। इतिहास साक्षी है- जाने और अनजाने सहस्रत्रों देशभक्त स्वतंत्रता की अमानत निधि को पाने के लिए शहीद हो गए।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) भारतवर्ष ने कितने वर्षों की गुलामी झेली है?
उत्तर– भारतवर्ष ने लगभग दो सौ वर्षों की गुलामी झेली है।

(ख) गुलामी ने भारत को क्या हानि पहुँचाई ?
उत्तर– गुलामी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान को पैरों तले रौंद डाला, संस्कृति को मिटाया तथा हमारे आत्मविश्वास को हिलाकर रख दिया।

(ग) इस देश की क्या विशेषताएँ रहीं?
उत्तर– इस देश की यह विशेषता रही कि यहाँ के लोग इस देश पर प्राण न्योछावर करने के लिए सदा तैयार रहे हैं। प्रश्न लोगों ने देश के लिए क्या किया? उत्तर लोगों ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए प्राणों का बलिदान दे दिया।

08 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृत्तियां हैं| हम अधिकतर कार्य अपने लिए करते हैं | ‘पर’ केलिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है | यही धर्म है, यही पुण्य है | इसे ही परोपकार कहते हैं | प्रकृति हमें निरंतर परोपकार का संदेश देती है | नदी दूसरों के लिए बहती है| वृक्ष जीवों को छाया तथा फल देने के लिए ही धूप,आंधी, बर्षा और तूफानों में अपना सबकुछ बलिदान कर देते हैं|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) सच्ची मानवता क्या है?
उत्तर– दूसरों के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है |

(ख) मानव की कितनी प्रवृत्तियां होती हैं?
उत्तर– मानव की दो प्रवृत्तियां है – स्वार्थ और परमार्थ|

(ग) पुण्य क्या है?
उत्तर– परोपकार के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही पुण्य है

(घ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |
उत्तर– परोपकार ही सच्ची मानवता है

(ड़) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए |
उत्तर– स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृतियाँ है किन्तु परमार्थ श्रेष्ठ है, यही सच्चा धर्म और पुण्य है | प्रकृति के उपादान नदी ,वृक्ष आदि भी अपना सर्वस्व बलिदान कर ‘पर’ हित में निरत होने का सन्देश देते हैं |

09 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

मानव का अकारण ही मानव के प्रति अनुदार हो उठना न केवल मानवता के लिए लज्जाजनक है, वरन अनुचित भी है । वस्तुतः यथार्थ मनुष्य वही है जो मानवता का आदर करना जानता है, कर सकता है । केवल इसलिए की कोई मनुष्य बुध्दिहीन है अथवा दरिद्र वह घृणा का तो दूर रहा, उपेक्षा का भी पात्र नहीं होना चाहिए। मानव तो इसलिए सम्मान के योग्य है की वह मानव है,भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए ।
उत्तर– मनुष्य भगवान की श्रेष्ठ रचना

(ख) मानव क्यों सम्मान के योग्य है?
उत्तर– मानव सम्मान के योग्य है क्योकि वह मानव है और ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है ।

(ग) यथार्थ मनुष्य किसे कहा गया है?
उत्तर– यथार्थ मनुष्य उसे कहा गया है जो मानवता का आदर करना जानता है ।

(घ) विलोम शब्द लिखिए – सम्मान, अनुदार
उत्तर– शब्द विलोम
सम्मान अपमान
अनुदार उदार

(ड़) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए ।
उत्तर– मानव ईश्वर की अनुपम कृति है । उसे उदारता पूर्वक बुध्दिहीन और गरीबों का सम्मान और सहायता करनी चाहिए । किसी से घृणा नहीं करनी चाहिए ।

10 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

राजस्थान की धरती ने भारत की वीर-माला के लिए जो बहुमूल्य रत्न प्रदान किए हैं, उनमें महाराणा प्रताप को सुमेरु मणि कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी। वीरता का मापदंड क्या केवल युद्ध में विजयी होना है ? नहीं, वीरता तो एक अदम्य वीरभाव है, निरंतर चुनौतियों से जूझने का उत्साह है, स्वाभिमान के साथ सिर उठाकर जीने का दृढ़ संकल्प है। वीरता तो कठिन परीक्षाओं में धैर्य और साहस के साथ जीने की अनुकरणीय जीवन-शैली है। उपर्युक्त कसौटियों पर कसे जाने पर महाराणा प्रताप विशुद्ध कुंदन प्रमाणित होते हैं। वह स्वाभिमान का सौदा कस्ले के बजाय शक्तिशाली शत्रु को रणभूमि में ललकारते हैं। पराधीनता से कलकत राजवैभव को भोगने की अपेक्षा वह वन-वन भटकना, भूखे रहना और प्राण प्रिय पुत्री को बिछोह स्वीकार करते हैं। राणा तो स्वयं वीरता के मानदंड हैं तथा स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श हैं।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक: ‘वीरता का मूल्य’।

(ख) वीरता क्या है?
उत्तर– वीरता का तात्पर्य युद्ध में विजय पाना ही नहीं है। अपितु यह तो स्वाभिमान के साथ सिर उठाकर जीने का संकल्प है।

(ग) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर– राजस्थान ने अनेक वीर पुरुषों को जन्म दिया है। उनमें राणा प्रताप का नाम सर्वोच्च शिखर पर है। वह वीरता की प्रतिमूर्ति थे। कलकत पराधीनता की अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए उन्होंने असहनीय दु:ख सहना स्वीकार किया।

11 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

चरित्र-निर्माण जीवन की सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य अपने चरित्र की ओर ध्यान देता है, वही जीवन क्षेत्र में विजयी होता है। चरित्र-निर्माण से मनुष्य के भीतर एक ऐसी शक्ति जाग्रत होती है, जो उसे जीवन संघर्ष में विजयी बनाती है। ऐसा व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। वह जहाँ कहीं भी जाता है, अपने चरित्र की शक्ति से अपना प्रभाव स्थापित कर लेता है। वह सहस्रों और लाखों के बीच में भी अपना अस्तित्व रखता हैं। उसे देखते ही लोग उसके व्यक्तित्व के सम्मुख अपना मस्तक झुका लेते हैं। उसके व्यक्तित्व में सूर्य को तेज और आँधी को गति होती हैं।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर– शीर्षक : ‘चरित्र-निर्माण।।

(ख) चरित्र-निर्माण से मनुष्य में कैसी शक्ति जाग्रत होती है?
उत्तर– चरित्र-निर्माण से मनुष्य में जीवन संघर्ष में विजयी बनने की शक्ति जाग्रत होती है।

(ग) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर– मनुष्य अपने चरित्र से ही अपने जीवन के संघर्षों का सामना करके सफलता प्राप्त करता है। चरित्र से ही वह अपना प्रभाव समाज तथा राष्ट्र में स्थापित कर पाता है। चरित्रवान व्यक्ति के तेज के आगे सभी नतमस्तक हो जाते

12 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

पर्यावरण को स्वच्छ रखने में वन्यजीवों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई एवं पशु-पक्षियों के गैरकानुनी शिकार के कारण इनमें कमी आई हैं। यहाँ तक कि इनकी अनेक प्रजातियाँ आज लुप्तप्राय-सी होती जा रही हैं। इनकी सुरक्षा व संरक्षण को ध्यान में रखकर सन् 1972 ई. में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बना, जिसके अंतर्गत वन्यजीवों के आखेट और उनके व्यापार पर रोक लगाकर इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया। इस प्रकार दुर्लभ एवं लुप्त होने वाले वन्यजीवों की जातियों के संरक्षण के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। अनेक राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों का विकास किया गया है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) उक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक-वन्यजीवों का संरक्षण।

(ख) वन्यजीवों की संख्या में कमी क्यों आई है?
उत्तर– पेड़ों की कटाई व वन्यजीवों के गैर कानूनी शिकार के कारण वन्यजीवों की संख्या में कमी आयी है।

(ग) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर– सारांश-पेड़ों की अत्यधिक कटाई व वन्यजीवों के शिकार के कारण उनमें कमी आने से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ा। अतः 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बनाकर वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगा दी गयी। राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों के विकास द्वारा वन्यजीवों की रक्षा के उपाय किए गये हैं।

13 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं- सड़क पर ठेला लगाने वाला, दूध वाला, नगर निगम का सफाई कर्मचारी, बस कंडक्टर, स्कूल अध्यापक, हमारे सहपाठी और ऐसे ही कई अन्य लोग| शिक्षा, वेतन, परंपरागत चलन और व्यवसाय के स्तर पर कुछ लोग स्तर कुछ लोग निम्न पर कार्य करते हैं तो कुछ उच्च स्तर पर| एक माली के कार्य को सरकारी कार्यलय के किसी भी सचिव के कार्य से निम्न स्तर का माना जाता है, किंतु यदि यही अपने कार्य को कुशलता पूर्वक करता है और उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करता है तो उसका कार्य सचिव के कार्य से कहीं बेहतर है जो अपने काम में ढिलाई बरतता है तथा अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं करता| क्या आप ऐसे सचिव को एक आदर्श अधिकारी कह सकते हैं? वास्तव में पद महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण होता है कार्य के प्रति समर्पण भाव और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|
उत्तर– उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक- ‘काम की महिमा’ है|

(ख) ‘कार्यप्रणाली में पारदर्शिता’ का तात्पर्य क्या है?
उत्तर– ‘कार्यप्रणाली में पारदर्शिता’ का तात्पर्य काम करने के प्रति ईमानदारी है|

(ग) एक माली का कार्य सरकारी सचिव के कार्य से भी बेहतर है, यदि….. पूरा कीजिए|
उत्तर– माली सचिव की तुलना में कुशलता पूर्वक काम करें|

(घ) ‘बेहतर’ के लिए हिंदी शब्द लिखिए|
उत्तर– ‘बेहतर’ का हिंदी शब्द है – ‘अच्छा’

(ड़) सरल वाक्य बनाइए-
दैनिक जीवन में हम अनेक लोगों से मिलते हैं जो विभिन्न प्रकार के काम करते हैं|
उत्तर– दैनिक जीवन में हम विभिन्न प्रकार के काम करने वाले लोगों से मिलते हैं|

14 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

महात्मा गांधी अपना काम अपने हाथ से करने पर बल देते थे| वे प्रत्येक आश्रमवासी से आशा करते थे कि वह अपने शरीर से संबंधित प्रत्येक कार्य-सफाई तक स्वयं करेगा| उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करता है, वह पाप करता है और पाप का अन्न खाता है| ऋषि-मुनियों ने कहा है- बिना श्रम किए जो भोजन करता है वह वस्तुतः चोर है| उनका समस्त अर्थशास्त्र यही बताता था| कि प्रत्येक उपभोक्ता को उत्पादनकर्ता होना चाहिए| उनकी नीतियों की उपेक्षा करने के परिणाम हम आज भी भोग रहे हैं| न गरीबी कम होने में आती है, न बेरोजगारी पर नियंत्रण हो पा रहा है और न अपराधों की वृद्धि को रोकना हमारे वश की बात हो रही है| दक्षिण कोरियावासियों ने श्रमदान करके ऐसे श्रेष्ठ भवनों का निर्माण किया है, जिनसे किसी को भी ईर्ष्या हो सकती है|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए|
उत्तर– शीर्षक- गांधी जी के श्रम संबंधी विचार|

(ख) ‘समस्त’ का पर्यायवाची लिखिए|
उत्तर– संपूर्ण

(ग) महात्मा गांधी चोर किसे कहते थे?
उत्तर– बिना श्रम किये भोजन करने वाले को गाँधी जी ने चोर कहा है|

(घ) गांधीजी के अनुसार पापी कौन है?
उत्तर– गांधीजी के अनुसार श्रम ने करने वाला पापी होता है|

(ड़) आश्रम में सफाई का काम कौन करता था?
उत्तर– आश्रम में सफाई का काम सभी लोग स्वयं करते थे|

15 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:

भारत की संस्कृति बहुत प्राचीन है| यह त्याग और तपस्या की भूमि है| यहां त्यागी – तपस्वी ऋषि और मुनि हुए हैं| उन्होंने अपने जीवन को संयम और तप से संवारा| लोग उनके जीवन से बहुत प्रभावित हुए| धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी| परिणाम यह हुआ कि ऋषि-मुनियों ने जिन आदर्शो की स्थापना की, वे हमारी संस्कृति के अंग बन गए| हम भोग की बजाय त्याग को महत्व देने लगे| इससे हमारे जीवन में सादगी आई, सच्चाई आई| आज पूरी दुनिया ‘खाओ, पियो और मौज करो’ की नीति पर चलकर प्रदूषण और विनाश को निमंत्रण दे रही है, वहीं भारत त्याग, बचत और कल्याण के मार्ग पर चल रहा है| तभी हमारे देश में महात्मा गांधी जैसे महान नेता हुए| उन्होंने अहिंसा और त्याग के बल पर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ दिया|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(क) त्याग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर– त्याग का अर्थ है- भोग पर नियंत्रण रखना|

(ख) भारत में त्याग को महत्व क्यों दिया जाने लगा?
उत्तर– भारत के ऋषि – मुनियों के कारण|

(ग) संसार के अन्य देश किस नीति पर चल रहे हैं?
उत्तर– संसार के अन्य देश ‘खाओ, पियो और मौज करो’ की नीति पर चल रहे हैं|

(घ) भोग की नीति क्या कहती है?
उत्तर– भोग की नीति कहती है- ‘खाओ, पियो और मौज करो’|

(ड़) अंग्रेजों को भारत से किसने भगाया?
उत्तर– महात्मा गांधी ने अंग्रेजो को भारत से भगाया।

Apathit Gadyansh For Class 6
Unseen Passage for Class 6 in Hindi

अन्य Apathit Gadyansh

Students can find a variety of unseen routes to prepare for Class 6 CBSE Board Exams. At the end of each paragraph, we have also provided you with the answers to each question in all the paragraphs.

If you take too much time to solve an overlooked passage of class 6, take a watch to focus on how much time you are spending. By doing this you can easily manage your time to solve the overlooked passages of class 6. You can also watch the unseen passage of class 6 in English.

The Apathit Gadyansh for class 6 helps the students understand the questions asked in the board exams. We also have other study material for class 6 such as sample papers, previous year question papers, NCERT solutions, NCERT books, etc. If you have any problem regarding this Apathit Gadyansh then write a comment in the below box.

FAQ: Frequently Asked Questions-Unseen Passage for class 6

Q.1 How do I manage time in unseen passage for class 6?

Answer: Take a clock and set the time in which you should just complete all questions.If you can’t complete the passage in that time.don’t worry, find that part in which you take a long time to solve the question. By doing this, you can easily manage your time to solve the question of passage.

Q.2: What is the difference between seen and unseen passage​ for class 6?

Answer: A Seen passage is a passage that you have already read and know what is in it.While in the unseen passage, you are not familiar with the passage and don’t know what is in it.

Q.3: How do we score high marks in unseen passage for class 6?

Answer: Study the question before reading the passage. After that, read the passage and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.

Q.4: What precaution should we take before writing the answer in the unseen passage for class 6?

Answer: Do not try to write the answer without reading the passage Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.

Q.5: How will I prepare myself to solve the unseen passage for class 6?

Answer: In the Exam, you will be given a small part of any story and you need to answer them to score good marks in your score. So firstly understand what question is being asked.
Then, go to the passage and try to find the clue for your question. Read all the alternatives very carefully. Do not write the answer until you feel that you have selected the correct answer.

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