Holi Essay in Hindi – होली पर निबंध हिंदी

Holi Essay in Hindi – आज के इस लेख में हम होली पर हिंदी में निबंध पढ़ेंगे। हमारे देश में अनेक प्रकार पर्व-त्योहार मनाये जाते हैं। जिसमे होली का बहुत ज्यादा महत्व होता हैं।

वर्तमान समय में होली केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अलग-अलग देशों में भी मनाया जाता हैं। आज के इस लेख में आप होली मनाये जाने के पीछे की प्रथा के बारे में भी पढ़ेंगे।

दोस्तों, अब हम आज का यह लेख होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) Essay on Holi in Hindi. को शुरू करते हैं। आप इस निबंध को पढ़ने के बाद इस निबंध के बारे में अपना फीडबैक जरूर कमेंट बॉक्स के माध्यम से दे।

Holi Essay in Hindi – होली पर निबंध हिंदी
Holi Essay in Hindi – होली पर निबंध हिंदी

Holi Essay in Hindi – होली पर निबंध हिंदी में

ऋतुओं में वसंत का, फूलों में गुलाब का और रसों में शृंगार का जो महत्व है, वही स्थान त्योहारों में Holi का है। मात्र यही एक त्योहार है जिसमे वसंत की सुषमा, गुलाब की खुशबू और शृंगार की मादकता का अपूर्व सहयोग है।

इस दिन हम पाप-पूण्य के भावों से मुक्त पाकर विशुद्ध आनंद की प्राप्ति करते हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है ऋतुओ में मैं वसंत हूँ। इस वसंत का स्वागत होलिकौत्सव से ही होता है।

इसीलिए होली का पर्व सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता हैं। यह हँसी-ख़ुशी का पर्व हैं। दिन-रात अपनी कर्म-संकुशलता में उलझे मनुष्यों को यह पर्व आनंद और प्रसन्ता से भर देता हैं।

इस पर्व पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं। प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और हिरणकश्यपु बिलकुल नास्तिक था। पिता-पुत्र को मार डालना चाहता था।

उसने प्रह्लाद को मरवाने की हर चंद कोशिश की, पर भगवान की कृपा से वह सदा बचता गया। प्रह्लाद की बुआ होलिका के पास वरदान युक्त एक चादर थी, जिसे ओढ़कर कोई भी आदमी आग में नहीं जलता था।

अंत में हिरणकश्यपु के कहने पर होलिका ने वही चादर ओढ़ ली और प्रह्लाद को लेकर आग में प्रवेश कर गई। सोचा था की प्रह्लाद मर जायेगा और होलिका चादर ओढ़े बाहर हो जाएगी।

भगवत्कृपा से उसी समय जोरों की हवा चली और होलिका की चादर प्रह्लाद के शरीर लिपट गयी। प्रह्लाद भगवान का नाम लेता हुआ चिता से बाहर आ गया और होलिका जल मरी। इसी ख़ुशी पर्व मनाया जाता हैं।

यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। रात्रि होलिका -दहन होता हैं और सुबह लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं। दोपहर के बाद स्नान के पश्चात् अबीर-गुलाल का कार्यक्रम प्रारम्भ होता है।

उस दिन हर चेहरा एक रंग में रंग जाता हैं। न कोई बड़ा होता हैं, न कोई छोटा होता हैं, न कोई उच्च होता हैं न नीच, न कोई धनी होता हैं, न कोई निर्धन।

बच्चे, बड़े, जवान, स्त्री, पुरुष सभी एक ही रंग में रंगे हुए, एक ही मस्ती में मस्त “Holi आयी और ख़ुशी की झोली लायी” यह कहावत अक्षरसः सत्य होती है।

तन-मन में नव स्फूर्ति लाने वाली फाल्गुन की बयार, किसानों के मन में नवांकुर उपजाती, फसल से भरा उनका खेत और नव परिधान धारण किये प्रकृति की छटा देखती बनती हैं।

इस दिन हर गाँव का गली-कूचा में होली से जुड़ी संगीत सुनने को दिखाई पड़ने लगती हैं। हर स्थान पर मालपुआ और पकवान की सौंधी सुगंध फैलने लगती हैं।

ढ़ोल और मंजीरे की ध्वनि से आकाश गूँजने लगता है। सारा वैर-भाव भूलकर सभी एक-दूसरे के गले मिलते हैं। आज की भौतिकवादी दुनिया में Holi की खुशियों की झोली बहुत कुछ खाली हो गई है।

फिर भी इनमे अन्य त्योहारों से अधिक खुशियाँ हैं। इस सामाजिक पर्व को भाईचारे और सह्रदयता से ही मनाया जाना चाहिए।

अंतिम विचार – Essay on Holi in Hindi

दोस्तों, आज के इस लेख में आपने हमारे देश भारत के एक महत्वपूर्ण त्योहार होली पर निबंध हिंदी में पढ़ा। आप इसी प्रकार की Hindi Essays पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट HindiDeep.in पर आ सकते हैं।

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