To score higher marks in your exam, you must score higher on the (Apathit Gadyansh) unseen passage class 7. You will be able to write better answers in your exam and improve your reading skills by reading the unseen passage for class 7 in Hindi.
जो छात्र कक्षा 7 में उच्च अंक प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में भाग लेने से पहले कक्षा 7 में Apathit Gadyansh का अभ्यास करना चाहिए। अपनी परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने के लिए, आपको कक्षा 7 के अनदेखे गद्यांश को हल करना होगा।
यहां कक्षा 7 के लिए प्रश्न और उत्तर के साथ Apathit Gadyansh दिए गए हैं जो आपके कौशल को बेहतर बनाने में आपकी सहायता करेंगे। जब आपने कक्षा 7 का अनदेखा गद्यांश नहीं देखा है, तो उत्तर लिखना शुरू न करें।
Table Of Contents
Unseen Passage for Class 7 in Hindi
अपठित गद्यांशों
वे परिच्छेद या परिच्छेद जो पहले न पढ़े गए हों, जो आपकी पाठ्य पुस्तक से नहीं लिए गए हों, अपठित अंश कहलाते हैं। अपठित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नों का उत्तर छात्रों को उनकी बुनियादी बुद्धि और ज्ञान के आधार पर देना होता है। इसलिए इनका बार-बार अभ्यास करना चाहिए। ऐसा करने से छात्र कुशल बनते हैं।
01 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
बढ़ती जनसंख्या ने अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है- रोटी, कपड़ा, मकान की कमी, बेरोजगारी, निरक्षता, कृषि एवं उद्योगों के उत्पादनों में कमी आदि। हम जितना अधिक उन्नति करते हैं या विकास करते हैं जनसंख्या उनके अनुपात में कहीं अधिक बढ़ जाती है।
बढ़ती जनसंख्या के समक्ष सभी सरकारी प्रयास असफल दिखाई देते हैं। कृषि उत्पादन और औद्योगिक विकास बढ़ती जनसंख्या के सामने नगण्य सिद्ध हो रहे हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या वृधि पर नियंत्रण की अति आवश्यकता है। इसके बिना विकास के लिए किए गए सभी प्रकार के प्रयत्न अधूरे रह जाएँगे।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) बढ़ती जनसंख्या ने किसे जन्म दिया है?
(i) दुर्गुणों को
(ii) अनेक प्रकार की समस्याओं को
(iii) दुर्भावनाओं को
(iv) अनेक प्रकार की विपदाओं को।
उत्तर- (ii)
(ख) विकास कार्य क्यों नहीं दिखाई देते?
(i) राजनीतिक अक्षमता के कारण
(ii) समस्याओं के कारण
(iii) भ्रष्टाचार के कारण
(iv) जनसंख्या की वृद्धि के कारण
उत्तर- (iv)
(ग) बढ़ती जनसंख्या ने इनमें से किस समस्या को जन्म नहीं दिया है?
(i) रोटी कपड़े की समस्या
(ii) बेरोजगारी की समस्या
(iii) निरक्षरता की समस्या
(iv) दहेज की समस्या
उत्तर- (iv)
(घ) बढ़ती जनसंख्या के समक्ष कौन से प्रयास असफल दिखाई देते हैं?
(i) सभी सरकारी प्रयास
(ii) सभी मानवीय प्रयास
(iii) सभी गैर-सरकारी प्रयास
(iv) सभी सामाजिक प्रयास
उत्तर- (i)
(ङ) “नगण्य” शब्द का सही अर्थ है
(i) बहुत
(ii) थोड़ा
(iii) पर्याप्त
(iv) अपर्याप्त
उत्तर- (iv)
02 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
एक राजा के दो पुत्र थे। दोनों अपने आप में बड़े ही निपुण थे। एक पुत्र सज्जन तो दूसरा पुत्र दुराचारी था। राजा की बातों को दोनों ही गौर से सुनते थे। परंतु उसका पालन नहीं करते थे। क्योंकि राजा के द्वारा यही समझाया जाता था कि दोनों आपस में मिलजुल कर रहो। परंतु जो पुत्र सज्जन था उसका कहना था कि यह दुष्टता करना छोड़ दे तो मैं इससे मिलजुल कर रहूंगा।
लेकिन दुराचारी का कहना था कि ये दूसरों से हाथ जोड़कर बात करना छोड़ दे तो मैं आपस में मिलजुल कर रहूंगा। राजा इस बातों को लेकर बहुत चिंतित थे। अब राजा की उपाधि दोनों में से किसी एक को देनी थी। क्योंकि राजा अब राजगद्दी के योग्य नहीं रह गए थे। राजा ने अपनी अर्धांगिनी से ये सब बाते बताई और कहा कि किस प्रकार निर्णय किया जाए मुझे कुछ नहीं सूझ रहा है।
तभी रानी ने राजा का धैर्य बढ़ाते हुए बोली कि स्वामी दोनों की परीक्षा ली जाए और उसमें जो सफल होगा उसी को यह राजगद्दी पर अधिकार होगा। महाराज इस बात से सहमत हो गए। राजा ने अपने दोनों पुत्रों को राजदरबार में बुलाया और सबके सामने यह घोषणा की कि अगर मेरे द्वारा ली गई परीक्षा में जो सफल होगा उसी को यह राजगद्दी प्राप्त होगी। इस बात से दोनों पुत्रों ने भी अपनी सहमति जताई।
राजा का प्रश्न था कि ये राजकोष से जो जितनी कम अनाज की खर्च करेगा उसी को राजगद्दी प्राप्त होगी। सुपात्र और कूपात्र पुत्रों ने अपने- अपने कार्यों में लग गए। जब पुनः सभा में दोनों पुत्रों को बुलाया गया तो राजा ने सबसे पहले अपने कुपात्र पुत्र से पूछा कि तुमने कितना अनाज को खर्च किया? उसने कहा रती भर नहीं।
फिर सुपात्र पुत्र से पूछा कि तुमने कितना अनाज खर्च किया? उसने कहा पूरा खर्च कर दिया और पुनः उसके दस गुना अनाज एकत्रित भी कर लिया। तब राजा ने अपने सुपात्र पुत्र को राजगद्दी पर बैठाया और अपने कुपात्र पुत्र से कहा कि तुम इस राजगद्दी के लोभ में मजदूरों को भूखे रख कर उतने अनाज को बचाए हो और इसने भूखे को भोजन करा कर के पुनः उनसे दस गुना अधिक अनाज प्राप्त कर लिया है। इसलिए यह राजगद्दी का श्रेय मेरे सुपात्र पुत्र को जाता है।
सीख :- इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि हमें किसी को तड़पा कर कुछ प्राप्त कर लेना लाभकारी सिद्ध नहीं होता है।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
क. दिए गए प्रश्न में से सही और गलत का चयन करें:-
1 .हमे दुराचारी होना चाहिए।
- हमे सज्जन होना चाहिए।
ख. विलोम शब्द बतावें:-
- दुराचारी
- सज्जन
ग. पर्यायवाची शब्द लिखें:-
- निपुण
- परीक्षा
घ. रिक्त स्थान को पूर्ति करें:-
- एक पुत्र ……………तो दूसरा पुत्र दुराचारी था।
- राजा ने अपने ……… पुत्र को राजगद्दी पर बैठाया।
ङ. इन प्रश्नों के उत्तर देवें:-
- राजा के पुत्र कैसे थे?
- राजा ने कौनसे पुत्र को राजगद्दी पर बैठाया और क्यों?
Apathit Gadyansh for class 5
03 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
यह एक विचित्र कथा है। एक समय एक मनुष्य ने अपने हाथों की उंगलियों का मत जानना चाहा कि आख़िर वे आपस में कैसे रहते हैं? सबसे पहले उसने अंगूठे से पूछा तो अंगूठा ने उत्तर देते हुए कहा कि अगर हम नहीं होते तो किसी को मजबूती से पकड़ना मुश्किल होता। फिर मनुष्य ने तर्जनी अंगुली का मत जानना चाहा तो तर्जनी उंगली के तरफ से उत्तर आया कि अगर हम नहीं होते तो मानव मार खा सकता है।
क्योंकि मैं ही किसी को उसकी औकात में रहने के लिए उत्सुक करता हूं। फिर मनुष्य ने मध्यमा अंगुली से पूछा कि तुम्हारा क्या मत है? मध्यमा अंगुली ने उत्तर देते हुए कहा कि अगर मैं नहीं होता तो मानव के कुछ गुप्त कार्य स्थगित हो जाते। अब बारी आई अनामिका अंगुली की अनामिका अंगुली ने उत्तर देते हुए बोली कि हमारे अनुपस्थिति में मानव अपने मस्तक पर तिलक लगाने में असमर्थ होता।
अंत में बारी आई कनिष्ठका अंगुली की कनिष्ठका अंगुली से पूछा गया कि तुम तो छोटी हो और तुम किस कारण अपने अंदर अहम करती हो? तब कनिष्ठका अंगुली ने प्रश्न का उत्तर देते हुए बोली कि- हे मानव! मैं किसी के प्रति अहंकार नहीं करती हूं। लेकिन आपने मुझ से पूछ ही लिया है तो मैं आपको स्मरण कराती हूं।
अगर मैं नहीं होती तो मानव अपनी जीवन काल में गुप्त संकेत करते हुए। अपनी उदर को अर्थात् लघुशंका अथवा शौच नहीं कर पाता। मैं यह भी मानती हूं कि दीर्घशंका के लिए प्रस्थान करने के लिए मुझे अनामिका अंगुली की सहायता लेनी पड़ती है। परंतु अगर मैं नहीं होती तो अकेले अनामिका भी कुछ नहीं कर पाती।
एक और विशेष महत्व है हममें मुष्टिका बनाते समय मेरी सहायता सबसे अधिक पड़ती है। क्योंकि मेरे बिना मुष्टिका में पूर्ण शक्ति नहीं होती है। यदि आपको पूर्ण विश्वास नहीं है तो आप अभी मुष्टिका निर्माण करके अनुभव कर सकते हैं। तब मनुष्य ने सब अंगुलियों का अहंकार को जाना और सभी को समझाते हुए कहा कि तुम्हें भी कनिष्टका अंगुली की तरह अहंकार नहीं करनी चाहिए।
सीख :- इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि हमें किसी प्रकार के कार्य में सफलता प्राप्त होने के पश्चात् या किसी भी समय अहंकार करना उचित नहीं होता है।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
क. दिए गए प्रश्न में से सही और गलत का चयन करें:-
- हमे अपनी काबिलियत पर अहंकार करना चाहिए।
- हमे कभी भी किसी को भी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
ख. विलोम शब्द बतावें:-
- अहंकार
- कमजोर
ग. पर्यायवाची शब्द लिखें:-
- मनुष्य
- अहंकार
घ. रिक्त स्थान को पूर्ति करें:-
- हमे भी__अंगुली की तरह अहंकार नहीं करनी चाहिए।
- दीर्घशंका के लिए प्रस्थान करने के लिए मुझे__की सहायता लेनी पड़ती है।
ङ. इन प्रश्नों के उत्तर देवें:-
- कनिष्ठका अंगुली ने उत्तर देते हुए क्या खा?
- मनुष्य ने उंगलियों को समझाते हुए क्या कहा?
04 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
स्वतंत्र भारत का सम्पूर्ण दायित्व आज विद्यार्थियों के कंधे पर है। कारण आज जो विद्यार्थी हैं, वे ही कल के भारत के नागरिक होंगे। भारत की उन्नति एवं उसका उत्थान उन्हीं की उन्नति और उत्थान पर निर्भर करता है।
अतएव विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने भावी जीवन का निर्माण बड़ी सतर्कता और सावधानी के साथ करें। उन्हें प्रत्येक क्षण अपने राष्ट्र, अपने समाज, अपने धर्म, अपनी संस्कृति को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए जिससे उनके जीवन से राष्ट्र को कुछ शक्ति प्राप्त हो सके। जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते, वे राष्ट्र और समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) किसी देश की उन्नति और उत्थान किन पर निर्भर करता है तथा क्यों?
उत्तर– किसी भी देश की उन्नति एवं उत्थान उस देश के विद्यार्थियों पर निर्भर है क्योंकि आज के विद्यार्थी ही कल के नागरिक होते हैं।
(ख) राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों का क्या कर्तव्य है?
उत्तर– राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों को अपने राष्ट्र एवं समाज के हितों और धर्म तथा संस्कृति को सदैव अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए।
(ग) किस प्रकार के विद्यार्थी राष्ट्र एवं समाज के लिए बोझ बन जाते हैं?
उत्तर– जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते, वे ही समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।
(घ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक- “स्वतंत्र भारत और विद्यार्थी”।
05 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
सांप्रदायिकता आज हमारे देश में अत्यंत भयंकर समस्या बन गई है। यहाँ विभिन्न जाति एवं धर्म के लोग रहते हैं। संविधान ने सभी को धार्मिक स्वतंत्रता दी है। यदि सभी लोग दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें तो कोई समस्या नहीं है। किंतु जब दूसरे धर्मों के प्रति घृणा और असहिष्णुता का भाव रखा जाये तो यह भावना ही सांप्रदायिकता कहलाती है जिसके कारण कई बार सांप्रदायिक दंगे भड़क उठते हैं।
सांप्रदायिकता से राष्ट्र तथा समाज को बहुत बड़ी हानि उठानी पड़ती है। इससे समाज में अस्थिरता पैदा होती है। लोगों में भय, असुरक्षा, अविश्वास और सघर्ष की भावना पैदा हो जाती है। सांप्रदायिकता आपसी सद्भाव को नष्ट कर डालती है।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर– विभिन्न धर्मों के लोग जब एक दूसरे के प्रति घृणा और असहिष्णुता का भाव रखें तो उसे सांप्रदायिकता कहते हैं।
(ख) सांप्रदायिकता से कौन-कौन सी हानियाँ हैं?
उत्तर– सांप्रदायिकता से सांप्रदायिक दंगे भड़क उठते हैं जिससे राष्ट्र तथा समाज को बहुत हानि होती है।
(ग) भारत में किस धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं?
उत्तर– भारत में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।
(घ) आधुनिक भारत की सबसे मुख्य समस्या क्या है?
उत्तर– सांप्रदायिकता आधुनिक भारत की सबसे मुख्य समस्या है।
(ङ) इस अवतरण का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– “धर्म एवं सहिष्णुता”।
Unseen Passage for Class 7 in Hindi MCQ
06 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
संस्कृति का सामान्य अर्थ है, मानव जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया-कलाप आदि। वास्तव में संस्कृति का निर्माण एक लंबी परम्परा के बाद होता है। संस्कृति विचार व आचरण के वे नियम और मूल्य हैं जिन्हें कोई अपने अतीत से प्राप्त करता है।
इसलिए कहा जाता है कि इसे हम अतीत से अपनी विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो संस्कृति एक विशिष्ट जीवन-शैली का नाम है। यह एक सामाजिक विरासत है जो परंपरा से चली आ रही होती है। प्रायः सभ्यता और संस्कृति को एक ही मान लिया जाता है, परंतु इनमें भेद हैं। सभ्यता में मनुष्य के जीवन का भौतिक पक्ष प्रधान है अर्थात् सभ्यता का अनुमान भौतिक सुख-सुविधाओं से लगाया जा सकता है।
इसके लिए विपरीत संस्कृति को आत्मा माना जा सकता है। इसलिए इन दोनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। वास्तव में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इनका विकास भी साथ-साथ होता है। अंतर केवल इतना है कि सभ्यता समय के बाद बदलती रहती है, किंतु संस्कृति शाश्वत रहती है।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर– संस्कृति का सामान्य अर्थ मानव जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया-कलाप आदि हैं।
(ख) संस्कृति को विरासत का स्वरूप क्यों कहा जाता है?
उत्तर– संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होता है इसलिए उसे विरासत का स्वरूप कहा जाता है।
(ग) सभ्यता और संस्कृति में क्या भेद है?
उत्तर– मनुष्य की सभ्यता का अनुमान उसकी सुख-सुविधाओं से लगाया जाता है तो संस्कृति का आचार-विचार से।
(घ) सभ्यता और संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर– सभ्यता और संस्कृति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अंतर केवल इतना है कि सभ्यता समय के साथ बदलती है लेकिन संस्कृति शाश्वत रहती है।
(ङ) गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर– “सभ्यता और संस्कृति”।
07 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
महिला आरक्षण विधेयक पर हर कोई अपने विचार व्यक्त कर रहा है। कोई इससे सहमत है तो कोई असहमत। लोकतंत्र में सबका अपना विचार हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि हम महिलाओं का विरोध करें। जातिगत आरक्षण जैसे सुधार तो आवश्यकता होने पर बाद में भी किए जा सकते हैं। हर बार विरोध करना घोर वैचारिक पिछड़ापन है। जो दल विभिन्न आधार सुझा रहे हैं, वे अपनी पार्टी में उसको लागू करने के लिए स्वतंत्र है।
बार-बार विरोध करने से नीयत पर शक होना जरूरी है। हो-हल्ला करके कई वर्षों से इस बिल को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं ने भी आज़ादी के लिए पुरुषों के साथ मिलकर संघर्ष किया था। क्या आज़ाद भारत में आज अपने अधिकारों के लिए उन्हें याचना करनी पड़ेगी? बेहतर होगा कि सभी दल इस दिशा में सहयोग करें और सर्वमान्य समाधान निकालें।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) जातिगत आरक्षण क्या है?
(a) जाति के आधार पर दिया गया आरक्षण
(b) किसी भी प्रकार का आरक्षण
(c) महिलाओं का आरक्षण
(d) धर्म के आधार पर आरक्षण
उत्तर- (a)
(ख) हर बार विरोध करने को क्या कहा गया?
(a) शोर-गुल
(b) महिलाओं का विरोध
(c) घोर वैचारिक पिछड़ापन
(d) वैचारिक स्वतंत्रता
उत्तर- (c)
(ग) आज़ादी के लिए महिलाओं ने क्या किया था?
(a) कुछ नहीं किया था
(b) पुरुषों के साथ मिलकर संघर्ष किया था
(c) अधिकारों के लिए याचना की थी
(d) विरोध किया था
उत्तर- (b)
(घ) महिला आरक्षण के लिए आज की स्थिति में क्या करना चाहिए? (उचित कथन का चयन कीजिए)
(a) मिलकर विचार करें
(b) जातिगत आरक्षण दें
(c) सर्वमान्य समाधान निकालें
(d) आरक्षण को कुछ वर्षों के लिए टाल दें
उत्तर- (c)
(ड़) ‘सर्वमान्य’ में समास बताएँ।
(a) तत्पुरुष समास
(b) कर्मधारय समास
(c) द्वन्द्व समास
(d) द्विगु समास
उत्तर- (a)
08 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
सदाचारी व्यक्ति अपने काम से बड़े बनते हैं। दुराचारी व्यक्ति दूसरों के काम में बाधाएँ उत्पन्न करके बड़प्पन बटोरना चाहते हैं। लेकिन एक न एक दिन उनकी कलई खुल जाती है। उनके अनुचित कार्य उनको कहीं का नहीं छोड़ते। इतना होने पर भी वे बेशर्म होकर अच्छे लोगों की बुराई करने में अपना समय बर्बाद करते रहते हैं।
किसी की प्रशंसा सुनना उनके कानों को अच्छा नहीं लगता। इतने ही परिश्रम से यदि वे अच्छे कार्य करें, तो वे भी अच्छे आदमी बन सकते हैं, सम्मान पा सकते हैं। परन्तु वे अपनी आदत से मजबूर हैं, उनके मन की कुटिलता उन्हें अच्छे काम करने से रोकती है।
सदाचारी व्यक्ति अच्छे काम करके चैन की नींद सोता है और सुखी रहता है। दुराचारी व्यक्ति बुरे काम करके अपना सुख-चैन नष्ट करता है, अपने मन को बीमार करता है। मन की बीमारी कुछ दिनों में शरीर की भी बीमारी बन जाती है।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) दुराचारी व्यक्ति किस प्रकार बड़प्पन बटोरना चाहते हैं? (सही विकल्प छाँटिए।)
(a) अच्छे काम करके
(b) दूसरों की प्रशंसा करके
(c) दूसरों के काम में बाधाएँ उत्पन्न करके
(d) दूसरों के काम में सहयोग करके
उत्तर- (c)
(ख) ______दुराचारी व्यक्तियों के कानों को अच्छा नहीं लगता। (वाक्य पूरा कीजिए।)
(a) बुरा काम करना
(b) किसी की प्रशंसा सुनना
(c) संगीत सुनना
(d) किसी के घर जाना
उत्तर- (b)
(ग) दुराचारी व्यक्ति अच्छे काम नहीं कर सकते, क्योंकि,______। (सही कथन से वाक्य पूरा कीजिए।)
(a) मन की कुटिलता उन्हें अच्छे काम करने से रोकती है।
(b) उन्हें लोग कुछ करने नहीं देते हैं।
(c) वे किसी का साथ नहीं देते हैं।
(d) वे सबको सम्मान देते हैं।
उत्तर- (a)
(घ) मन की बीमारी कुछ दिनों में किसकी बीमारी बन जाती है?
(a) समाज की
(b) परिवार की
(c) राज्य की
(d) शरीर की
उत्तर- (d)
(ड़) “कलई खुलना’ मुहावरे का अर्थ है
(a) कलई उतरना
(b) असलियत का पता चलना
(c) भेद प्रकट न करना
(d) चमकना
उत्तर- (b)
अपठित गद्यांश कक्षा 7 हिंदी mcq
09 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
सत्साहसी व्यक्ति में एक गुप्त शक्ति रहती है, जिसके बल से वह दूसरे मनुष्य को दु:ख से बचाने के लिए प्राण तक देने को प्रस्तुत हो जाता है। धर्म, देश, जाति और परिवार वालों के ही लिए नहीं, किन्तु संकट में पड़े हुए अपरिचित व्यक्ति के सहायतार्थ भी उसी शक्ति की प्रेरणा से वह हमारे संकटों का सामना करने को तैयार हो जाता है। अपने प्राणों की वह लेशमात्र भी परवाह नहीं करता। हर प्रकार के क्लेशों को प्रसन्नतापूर्वक सहता और स्वार्थ के विचारों को वह फटकने तक नहीं देता।
सत्साहस के लिए अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि सत्साहस दिखाने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में पल-पल में आया करता है। देश, काल और कर्त्तव्य का विचार करना चाहिए और स्वार्थरहित होकर साहस न छोड़ते हुए कर्त्तव्य-परायण बनने का प्रयत्न करना चाहिए।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) सत्साहसी व्यक्ति के पास कौन-सी शक्ति रहती है? (सही उत्तर का चयन कीजिए)
(a) दैवी शक्ति
(b) धन की शक्ति
(c) गुप्त शक्ति
(d) शारीरिक शक्ति
उत्तर- (c)
(ख) सत्साहसी व्यक्ति इनका मुकाबला करने को तैयार हो जाता है
(a) संकटों का
(b) विरोधियों का
(c) कमज़ोर व्यक्तियों का
(d) सबका
उत्तर- (a)
(ग) …….सत्साहसी व्यक्ति के पास नहीं फटकते। (सही कथन का चयन कीजिए)
(a) प्रसन्नता के विचार
(b) क्लेश के विचार
(c) सहायता के विचार
(d) सहयोग के विचार
उत्तर- (b)
(घ) सत्साहस दिखाने का अवसर कब आता है?
(a) कभी-कभी आता है
(b) कभी नहीं आता है
(c) केवल एक बार आता है
(d) पल-पल में आया करता है
उत्तर- (d)
(ड़) उपर्युक्त अवतरण का उचित शीर्षक बताइए।
(a) परोपकार
(b) अवसर
(c) सत्साहस
(d) संकटों का सामना
10 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
आश्चर्य की बात है कि मनुष्य कभी अपने आप से यह प्रश्न नहीं करता कि उसे क्या चाहिए? सामान्य रूप से वह जानता है कि उसे अच्छा काम धंधा चाहिए, चाहिए सुख वैभव और विलास चाहिए लेकिन यह सब ऊपर ही बातें हैं. सब बातों के नीचे एक रहस्य और है – मनुष्य का परमात्मा से कटा होना.
यह करना ही उसके सब दुखों का कारण है. इसी दुख की पूर्ति के लिए कभी वह रिश्ते नाते जोड़ता है, कभी सांसारिक सफलता पाकर खुश होता है. लेकिन सफलता का सुख भी उसे पूरी संतुष्टि नहीं दे पाता. गौतम बुद्ध को भी सांसारिक सुख पसंद नहीं कर पाए थे. तब उनके मन में प्रश्न उठा था कि आखिर मुझे संतोष कैसे मिलेगा. इस प्रश्न का उत्तर उन्हें बड़ी साधना से मिला.
गौतम बुद्ध परमात्मा को नहीं मानते थे. उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि करुणा से मानव जीवन सुखी हो सकता है. करुणा करने वाला अपने लिए नहीं दीन दुखियों के लिए जीता है. इसी में उसे आनंद मिलता है. वास्तव में मानव का लक्ष्य यही आनंद पाना है.
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) अपठित गद्यांश का शीर्षक दीजिए.
उत्तर– अपठित गद्यांश का शीर्षक – मानव जीवन का लक्ष्य
(ख) सामान्य तौर पर मनुष्य जीवन में क्या चाहता है?
उत्तर– सामान्य तौर पर मनुष्य अच्छा काम धंधा, सुख वैभव और विलास के साधन चाहता है.
(ग) मनुष्य जीवन का वास्तविक कष्ट क्या है?
उत्तर– मनुष्य जीवन का वास्तविक कष्ट, परमात्मा से कटा होना है.
(घ) मनुष्य अपने सांसारिक दुख को दूर करने के लिए क्या उपाय करता है?
उत्तर– अपने सांसारिक दुखों को दूर करने के लिए संसार एक रिश्ता और सफलताओं में लीन रहता है.
(ड़) गौतम बुद्ध ने मानव जीवन को सुखी बनाने का कौन सा उपाय खोजा?
उत्तर– गौतम बुद्ध ने मानव जीवन को सुखी बनाने के लिए करुणा अपनाने के लिए कहा.
(च )मानव जीवन का सच्चा लक्ष्य क्या है?
उत्तर– मानव जीवन का सच्चा लक्ष्य है – आनंद की प्राप्ति
अपठित गद्यांश कक्षा 12 हिंदी
11 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता का मुख्य कारण माता-पिता की ढिलाई मानते हैं. माता पिता के संस्कार ही बच्चे पर पढ़ते हैं. बच्चे की प्राथमिक पाठशाला घर होती है. घर का वातावरण ही दोषपूर्ण है तो उसके संस्कार उन्नत कैसे हो सकते हैं? पहले तो प्यार के कारण माता-पिता बच्चों के खराब व्यवहार, शिष्टता और खराब भाषा की ओर ध्यान नहीं देते, किंतु जब हाथी के दांत बाहर निकल आते हैं तो उन्हें चिंता होती है और वह विद्यालय और शिक्षकों की आलोचना करना आरंभ कर देते हैं.
बच्चों के गलत व्यवहार और संस्कारों का एक कारण हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली भी है, जिसमें नैतिक या चरित्रिक शिक्षा का कोई स्थान नहीं है. पहले विद्यार्थी को दंड का भय बना रहता था, शारीरिक दंड देना अपराध माना जाता है; शिक्षक केवल जबानी जमा खर्च ही कर सकते हैं. पश्चिमी संगीत, नृत्य पता चल चित्रों ने भी विद्यार्थियों को बहुत हानि पहुंचाई है. इनके कारण उनमें चारित्रिक दृढ़ता न रहकर उच्छृंखलता इस सीमा तक बढ़ गई है कि यदि सीमा रहते इस और ध्यान न दिया गया तो देश का भविष्य ही अंधकार पूर्ण हो सकता है.
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए.
उत्तर– अपठित गद्यांश का शीर्षक – छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता के कारण
(ख) माता-पिता की ढिलाई का विद्यार्थियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर– माता-पिता की ढिलाई के कारण बच्चे अनुशासन हीन और उच्छृंखल हो जाते हैं.
(ग) आधुनिक शिक्षा प्रणाली अनुशासनहीनता को कैसे बढ़ावा दे रही है?
उत्तर– आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नैतिक तथा चारित्रिक शिक्षा की अपेक्षा की जाती है. दूसरी ओर शारीरिक दंड भी छात्रों को अब नहीं दिया जा सकता. इन दोनों कारणों से छात्रों में अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है.
(घ) ” किंतु जब हाथी के दांत बाहर निकल आते हैं तो उन्हें चिंता होती है ” – इस कथन का आशय बताइए.
उत्तर– जब बच्चों की अनुशासनहीनता अमर्यादित हो जाती है तब माता-पिता कोचीन.
(ड़) छात्रों में बढ़ती उच्छृंखलता के मुख्य कारण क्या है?
उत्तर– छात्रों में बढ़ती उच्छृंखलता के कई कारण है – माता-पिता की ढिलाई के कारण आए कुसंस्कार, दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, एवं पश्चिमी संगीत, नृत्य और चलचित्र का दुष्प्रभाव.
12 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
महानगरों में भीड़ होती है, समाज में लोग नहीं बसते। भीड़ वह है जहां लोगों का जमावड़ा होता है। ऐसे भी लोग हैं जिनके सीने में दिल नहीं होता. सिर तो हैं लेकिन उनमें बुद्धि या विचार नहीं है. हाथ तो हैं, लेकिन उन हाथों में विनाश के लिए पत्थर हैं, ये हाथ निर्माण के लिए नहीं हैं। यह भीड़ एक अंधी गली से दूसरी अंधी गली की ओर बढ़ती है क्योंकि भीड़ में शामिल लोगों का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं होता है। वे एक दूसरे से मिलते जुलते नहीं हैं.
सभी अज्ञात लोग एक साथ आकर तबाही मचाने में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं, क्योंकि जिन इमारतों, बसों या ट्रेनों में वे तोड़फोड़ करते हैं, वे उनकी नहीं होतीं और न ही उनमें यात्रा करने वाले यात्री उनके अपने होते हैं। महानगरों में लोग एक ही इमारत में पड़ोसी बनकर रहते हैं, लेकिन यह पड़ोस रिश्तों से विहीन होता है। पुराने समय में लोग दही जमाने के लिए जामन मांगने जाते थे, फ्लैट में फ्रीजर है इसलिए जामन मांगने की जरूरत नहीं पड़ती थी. सारा पड़ोस, सारे रिश्ते-नाते इस फ्रिज में जम गये हैं।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) अपठित गद्यांश का एक शीर्षक दीजिए
उत्तर- अपठित गद्यांश का शीर्षक – महानगरों की भीड़ संस्कृति
(ख) महानगरों में भीड़ होती है, समाज या लोग नहीं बस्ते- इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए.
उत्तर– इस वाक्य का आशय है कि – महानगर के निवासियों में आपसी संबंध नहीं होते हैं. वे समूह में रहकर भी अकेले होते हैं.
(ग) भीड़ में बुद्धि या विचार नहीं होता – ऐसा क्यों बातों से स्पष्ट होता है?
उत्तर– भीड़ बिना सोचे समझे विनाश करना जानती है, परंतु निर्माण करना उसके बस में नहीं. इससे पता चलता है कि भीड़ के पास बुद्धि या विचार नहीं होते हैं.
(घ) जमघट और समाज में क्या अंतर होता है?
उत्तर– जमघट अनजान, अजनबी लोगों का जमावड़ा होता है जबकि समाज आपसी संबंधों से जुड़ा हुआ होता है.
(ड़) फ्रिज आने से क्या हानि हुई है?
उत्तर– फ्रिज आने से पड़ोसियों के साथ संबंध समाप्त हो गए हैं.
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13 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
मनुष्य कोई मशीन मात्र नहीं है जिसके पुर्जों को अलग करके मरम्मत की जा सके और तेल या ग्रीस लगाकर दोबारा चालू किया जा सके। प्रत्येक मनुष्य का जन्म विशेष परिस्थितियों में विशेष संस्कारों के साथ होता है। इनमें से कुछ परिस्थितियाँ और अनुष्ठान अनुकूल हो सकते हैं और कुछ प्रतिकूल भी हो सकते हैं। शैक्षणिक संस्थाएँ ऐसी फैक्टरियाँ हैं जहाँ विषयों और प्रभावों को परिष्कृत, सामंजस्यपूर्ण और मनुष्य का विस्तार किया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो यहां मनुष्य की बुद्धि और हृदय को खराद पर चढ़ाया जाता है और फिर नए-नए रूपों में समाज के सामने आते हैं। एक खूबसूरत सपना, आदर्श या अहसास किसी और को देना आसान नहीं है। यह आदान-प्रदान देने वाले और लेने वाले दोनों को आशीर्वाद देता है। हमारी शिक्षा, चाहे वह प्राथमिक हो या उच्च, कभी भी मनुष्य की क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया।
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) मनुष्य के संस्कारों एवं प्रभावों का परिमार्जन किससे होता है ?
उत्तर– मनुष्य में कुछ जन्मजात संस्कारों तथा प्रभावों का परिमार्जन शिक्षा से होता है |
(ख) “इन परिस्थितियों और संस्कारों में कुछ अनुकूल होते हैं और कुछ प्रतिकूल है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? स्पष्ट कीजिये |
उत्तर– यह संयुक्त वाक्य है| इसमें ‘और’ संयोजक अवव्य का प्रयोग किया गया है |
(ग) ‘अनुभूति’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |
उत्तर– अनुभूति- अनु, उपसर्ग- भूत शब्द- इ प्रत्यय |
(घ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |
उत्तर– शीर्षक शिक्षा का महत्व |
14 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
किसी देश – भक्त कवि का उद्घोष है, “हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं |” स्पष्ट है कि स्वदेश – प्रेम ऐसा पवित्र भाव है जिसकी व्यंजना देश – भक्तों के चरित्र में उत्कट रूप में होती है | देखा जाए तो स्वदेश – प्रेम मनुष्य का न केवल स्वाभाविक गुण है, अपितु वह एक प्राथमिक कर्तव्य भी है | इस कर्तव्य की पूर्ति देश के लिए अपना तन, मन, धन सभी समर्पित करने पर भी नहीं होती है | महान – से – महान त्याग करके भी व्यक्ति जननी और जन्मभूमि के ऋण से उऋण नहीं हो सकता; क्योंकि व्यक्ति को जो सर्वस्व प्राप्त होता है, जननी एवं जन्मभूमि भूमि द्वारा ही उसे प्रदत्त है | उसका प्रतिदान करके मनुष्य देश के प्रति समर्पित रहने की भावना व्यक्त करता है | देश – भक्ति के लिए वस्तुतः यह समर्पण- भाव महत्वपूर्ण है |
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) स्वदेश – प्रेम की उत्कट व्यंजना किनके द्वारा होती है|
उत्तर– देश – प्रेम की उत्कट व्यंजना देश – भक्तों के चरित्र से, उनके द्वारा तन- मन- धन से, सर्वस्व समर्पण भाव से होती है |
(ख) किसी देश – भक्त कवि का उद्घोष है, “हृदय नहीं वह पत्थर है”- इसे मिश्र वाक्य में बदलिए |
उत्तर– किसी देश- भक्त कवि का उद्घोष है कि “वह हृदय नहीं पत्थर है|”
(ग) ‘समर्पित’ शब्द में उपसर्ग, मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |
उत्तर– समर्पित- सम उपसर्ग, मूल शब्द- अर्पण और इत प्रत्यय है|
(घ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |
उत्तर- शीर्षक- स्वदेश- प्रेम का महत्व |
15 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
वायु प्रदुषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है| इस का कारण है, बढ़ता हुआ औद्योगीकरण| गत बीस वर्षो में भारत के प्रत्येक नगरों में कारखानों की जितनी तेज़ी से वृद्धि हुई है, उससे वायु मंडल पर बहुत प्रभाव पड़ा है| क्योकि इन कारखानों में चिमनियों से चौबीसो घंटे निकलने वाला धुएं ने सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है| इस के अलावा सड़को पर चलने वाले वाहनों की संख्या में तेज़ी से होने वाली वृद्धि भी वायु-प्रदूषण के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है| इन वाहनों के धुएं से निकलने वाली ‘कार्बन मनो ऑक्साइड गैस’ के कारण आज न जाने कितने प्रकार की साँस और फेफड़ो की बीमारियाँ आम बात हो गई है| इधर बढ़ती हुई जनसँख्या, लोगों का काम की तलाश में गाँवों से शहरो की ओर भागना भी वायु- प्रदूषण के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है | शहरो की बढ़ती जनसंख्या के लिए आवास की सुविधाएँ उपलब्ध करने क लिए वृक्षों ओर वनों को भी निरंतर काटा जा रहा है | वायु- प्रदूषण को बचाने वाले कारणों की हमें खोज करनी चाहिए | पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अधिक- से – अधिक वृक्ष लगाने चाहिए |
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(क) वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर ही क्यों हुआ?
उत्तर– वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर औदयोगीकरण के कारण हुआ हैं |
(ख) वाहन वायु – प्रदूषण में किस प्रकार वृद्धि करते हैं?
उत्तर– वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ाकर वायु – प्रदूषण में वृद्धि करते हैं |
(ग) पर्यावरण की रक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर– पर्यावरण की रक्षा के लिए बचाव के उपाय सोचे जाने चाहिए |
(घ) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक हैं|
उत्तर– प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक वायु- प्रदूषण के कारण ओर निवारण हैं।
Conclusion
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FAQ
Q.1 सभ्यता और संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर– सभ्यता और संस्कृति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अंतर केवल इतना है कि सभ्यता समय के साथ बदलती है लेकिन संस्कृति शाश्वत रहती है।
Q.2: किसी देश की उन्नति और उत्थान किन पर निर्भर करता है तथा क्यों?
उत्तर– किसी भी देश की उन्नति एवं उत्थान उस देश के विद्यार्थियों पर निर्भर है क्योंकि आज के विद्यार्थी ही कल के नागरिक होते हैं।
Q.3: राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों का क्या कर्तव्य है?
उत्तर– राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों को अपने राष्ट्र एवं समाज के हितों और धर्म तथा संस्कृति को सदैव अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए।