Unseen passage class 9 is the most important part of scoring high marks in your exam. Reading unseen passages from class 9 in Hindi will help you write better answers in your exam and improve your reading skills.
इसमें दो अनुच्छेद हैं, प्रत्येक को हल करने पर 10 अंक है। एक गद्यांश विवेचनात्मक है, जबकि दूसरा किसी मामले पर आधारित तथ्यात्मक गद्यांश है। दोनों अनुच्छेदों की संयुक्त लंबाई लगभग 600-700 शब्द है।
Table Of Contents
Unseen Passage for Class 9 in Hindi
01 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें
प्राचीन काल में जब धर्म – मजहबे समस्त जीवन को प्रभावित करता था, तब संस्कृति के बनाने में उसका भी हाथ था; किन्तु धर्म के अतिरिक्त अन्य कारण भी सांस्कृतिक-निर्माण में सहायक होते. थे। आज मजहब का प्रभाव बहुत कम हो गया है। अन्य विचार जैसे राष्ट्रीयता आदि उसका स्थान ले रहे हैं। राष्ट्रीयता की भावना तो मजहबों से ऊपर है। हमारे देश में दुर्भाग्य से लोग संस्कृति को धर्म से अलग नहीं करते हैं.। इसका कारण अज्ञान और हमारी संकीर्णता है। हम पर्याप्त मात्रा में जागरूक नहीं हैं।
हमको नहीं मालूम है कि कौन-कौन-सी शक्तियाँ काम कर रही हैं और इसका विवेचन भी ठीक से नहीं कर पाते कि कौन-सी मार्ग सही है? इतिहास बताता है कि वही देश पतनोन्मुख हैं जो युग-धर्म की उपेक्षा करते हैं और परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हैं। परन्तु हम आज भी अपनी आँखें नहीं खोल पा रहे हैं।
परिवर्तन का यह अर्थ कदापि नहीं है कि अतीत की सर्वथा उपेक्षा की जाए। ऐसा हो भी नहीं सकता। अतीत के वे अंश जो उत्कृष्ट और जीवन-प्रद हैं उनकी तो रक्षा करनी ही है; किन्तु नये मूल्यों को हमको स्वागत करना होगा तथा वह आचार-विचार जो युग के लिए अनुपयुक्त और हानिकारक हैं, उनका परित्याग भी करना होगा।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए
(क) मजहब का स्थान अब कौन ले रहा है ?
उत्तर– मजहब का स्थान अब राष्ट्रीयता आदि विचार ले रहे हैं।
(ख) हमारे देश में संस्कृति और धर्म को लेकर क्या भ्रम
उत्तर– हमारे देश में संस्कृति और धर्म को एक ही समझा जाता है, जो भ्रम है।
(ग) इतिहास के अनुसार कौन-से देश पतन की ओर जाते
उत्तर– जो देश समय के अनुसार स्वयं को नहीं बदलते हैं, उनका पतन हो जाता है।
(घ) गद्यांश को उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– उपयुक्त शीर्षक – धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता।
(ङ) उपेक्षा’ का विलोम शब्द लिखिए।
उत्तर– विलोम शब्द – उपेक्षा-अपेक्षा।
Unseen Passage for Class 9 Hindi
02 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
हर राष्ट्र को अपने सामान्य काम-काज एवं राष्ट्रव्यापी व्यवहार के लिए किसी एक भाषा को अपनाना होता है। राष्ट्र की कोई एक भाषा स्वाभाविक विकास और विस्तार करती हुई अधिकांश जन-समूह के विचार-विनिमय और व्यवहार का माध्यम बन जाती है।
इसी भाषा को वह राष्ट्र, राष्ट्रभाषा का दर्जा देकर, उस पर शासन की स्वीकृति की मुहर लगा देता है। हर राष्ट्र की प्रशासकीय-सुविधा तथा राष्ट्रीय एकता और गौरव के निमित्त एक राष्ट्रभाषा का होना परम आवश्यक होता है। सरकारी काम-काज की केन्द्रीय भाषा के रूप में यदि एक भाषा स्वीकृत न होगी तो प्रशासन में नित्य ही व्यावहारिक कठिनाइयाँ आयेंगी। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में भी राष्ट्र की निजी भाषा का होना गौरव की बात होती है। एक राष्ट्रभाषा के लिए सर्वप्रथम गुण है-
उसकी व्यापकता’। राष्ट्र के अधिकांश जन-समुदाय द्वारा वह बोली तथा समझी जाती हो। दूसरा गुण है- ‘उसकी समृद्धता’। वह संस्कृति, धर्म, दर्शन, साहित्य एवं विज्ञान आदि विषयों को अभिव्यक्त करने की सामर्थ्य रखती हो। उसका शब्दकोष व्यापक और विशाल हो और उसमें समयानुकूल विकास की सामर्थ्य हो। यदि निष्पक्ष दृष्टि से विचार किया जाए तो हिन्दी को ये सभी योग्यताएँ प्राप्त हैं। अत: हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा होने की सभी योग्यताएँ रखती है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– गद्यांश का शीर्षक है- ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी’।
(ख) राष्ट्रभाषा की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर– राष्ट्र की प्रशासकीय सुविधा, राष्ट्रीय एकता एवं गौरव के लिए राष्ट्रभाषा आवश्यक होती है।
(ग) राष्ट्रभाषा का आविर्भाव कैसे होता है ?
उत्तर– जब कोई भाषा अधिकांश जन-समूह के विचार-विनिमय और व्यवहार का माध्यम बन जाती है तब इस भाषा को शासन द्वारा राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार राष्ट्रभाषा का आविर्भाव होता है।
(घ) एक राष्ट्रभाषा न होने से क्या कठिनाई होती है ?
उत्तर– एक राष्ट्रभाषा न होने से प्रशासनिक कार्य, शिक्षा, व्यवसाय और जन-सम्पर्क में बाधा पड़ती है।
(ङ) ‘विज्ञान’ शब्द किस शब्द और उपसर्ग से बना है ?
उत्तर– ‘विज्ञान’ शब्द ‘ज्ञान’ शब्द में ‘वि’ उपसर्ग लगाकर बना है।
Unseen Passage for Class 9 Hindi MCQ
03 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
समाजवाद एक सुन्दर शब्द है। जहाँ तक मैं जानता हूँ, समाजवाद में समाज के सारे सदस्य बराबर होते हैं, न कोई नीचा और न कोई ऊँचा। किसी आदमी के शरीर में सिर इसलिए ऊँचा नहीं है कि वह सबसे ऊपर है और पाँव के तलवे इसलिए नीचे नहीं हैं कि वे जमीन को छूते हैं। जिस तरह मनुष्य के शरीर के सारे अंग बराबर हैं उसी प्रकार समाज में सभी मनुष्य समान हैं; यही समाजवाद है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित (सटीक) शीर्षक दीजिए।
उत्तर– शीर्षक-‘समाजवाद’।
(ख) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर– समाजवाद की व्यवस्था आदमी के शरीर की भाँति है। जहाँ समाज के सारे सदस्य एक बराबर होते हैं न कोई नीचा और न कोई ऊँचा।
(ग) समाजवाद में महत्त्व की बात क्या है?
उत्तर– समाजवाद में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि समाज के सारे सदस्य बराबर होते हैं।
(घ) विलोम शब्द बताइए-छूते हैं, नीचा।
उत्तर– अछूते हैं, ऊँचा।
(ङ) ‘सदस्य’ शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर– घर के सदस्य मिलकर अपने-अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हैं।
अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी mcq
04 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
राष्ट्रीय एकता प्रत्येक स्वतन्त्र राष्ट्र के लिए नितान्त आवश्यक है। जब भी धार्मिक या जातीय आधार पर राष्ट्र से अलग होने की कोशिश होती है, हमारी राष्ट्रीय एकता के खण्डित होने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक सुनिश्चित सत्य है कि राष्ट्र का स्वरूप निर्धारित करने में वहाँ निवास करने वाले जन एक अनिवार्य तत्व होते हैं।
भावात्मक स्तर पर स्नेह सम्बन्ध सहिष्णुता, पारस्परिक सहयोग एवं उदार मनोवृत्ति के माध्यम से राष्ट्रीय एकता की अभिव्यक्ति होती है। राष्ट्र को केवल भूखण्ड मानकर उसके प्रति अपने कर्तव्यों से उदासीन होने वाले जन राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में कदापि सहायक नहीं हो सकते। वस्तुतः राष्ट्रीय एकता को व्यवहार में अवतरित करके ही राष्ट्र के निवासी अपने राष्ट्र की उन्नति और प्रगति में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त (सटीक) शीर्षक लिखिए।
उत्तर– उपर्युक्त शीर्षक–’राष्ट्रीय एकता’।
(ख) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर– किसी देश की स्वतन्त्रता एकता के द्वारा ही स्थायी रह सकती है। राष्ट्रीय एकता का मूलाधार वहाँ निवास करने वाले लोगों के उत्तम संस्कार एवं श्रेष्ठ विचार हैं। राष्ट्र की उन्नति के लिए प्रत्येक मानव को सहगामी बनाना चाहिए।
(ग) राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा कब उत्पन्न होता है?
उत्तर– राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा उस समय उत्पन्न होता है, जब धर्म एवं जाति को माध्यम बनाकर राष्ट्र से पृथक् होने की कोशिश की जाती है।
(घ) विलोम शब्द बताइए-एकता, उदार।
उत्तर– अनेकता, अनुदार।
(ङ) ‘उन्नति’ शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर– देश की उन्नति’ प्रत्येक नागरिक के चारित्रिक गुणों के विकास पर निर्भर हैं।
Apathit Gadyansh for Class 9
05 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
परोपकार-कैसा महत्त्वपूर्ण धर्म है। प्राणिपात्र के जीवन का तो यह लक्ष्य होना चाहिए। यदि विचारपूर्वक देखा जाए तो ज्ञात होगा कि प्रकृति के सारे कार्य परोपकार के लिए ही हैं नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीतीं। पेड़ स्वयं अपने फल नहीं खाते। गुलाब का फूल अपने लिए सुगन्ध नहीं रखता।
वे सब दूसरों के हितार्थ हैं। महात्मा गांधी और अन्य महात्माओं का मत है कि परोपकार ही करना चाहिए, किंतु परोपकार निष्काम हो। यदि परोपकार किसी प्रत्युपकार की आशा से किया जाता है, तो उसका महत्त्व क्षीण हो जाता है।
भारत का प्राचीन इतिहास दया और परोपकार के उदाहरणों से भरा है। राजा शिवि ने कपोल की रक्षा के लिए अपने प्राण देने तक का संकल्प कर लिया था। परोपकार का इससे ज्वलंत उदाहरण और कौन-सा मिल सकता है? चाहे जो हो, परोपकार आदर्श गुण है। हमें परोपकारी बनना चाहिए।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) इस गद्यांश का मूल भाव बताइए।
उत्तर– परोपकार महत्त्वपूर्ण धर्म है। यह प्राणिमात्र के जीवन का परम उद्देश्य होना चाहिए। प्रकृति के सारे कार्य परोपकार के लिए ही हैं। सभी महात्मा जन-जीवन में इसके महत्त्व की आवश्यकता का अनुभव रते हैं। पर यह होना कामना रहित चाहिए। भारत के प्राचीन इतिहास में अनेक उदाहरण देखे जा सकते हैं। अतः हमें यह परोपकार अवश्य करना चाहिए।
(ख) इस गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर– इस गद्यांश का शीर्षक ‘परोपकार’ है।
(ग) प्राणिमात्र के जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
उत्तर– प्राणिमात्र के जीवन का एकमात्र उद्देश्य परोपकारी बनना होना चाहिए।
(घ) महात्मा गांधी जैसे महात्माओं ने परोपकार के सम्बन्ध में क्या मत व्यक्त किया है?
उत्तर– महात्मा गांधी जैसे महात्माओं ने कहा है कि मानव को परोपकार अवश्य करना चाहिए। परंतु यह निष्काम भावना से सम्पादित होना चाहिए। यदि परोपकार बदले की भावना से किया जाता है, तो उसका महत्त्व क्षीण हो जाता है।
(ङ) हमें कैसा बनना चाहिए?
उत्तर– हमें परोपकारी बनना चाहिए।
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06 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
वैदिक युग भारत का प्राय: सबसे अधिक स्वाभाविक काल था। यही कारण है कि आज तक भारत का मन उस काल की ओर बार-बार लोभ से देखता है। वैदिक आर्य अपने युग को स्वर्णकाल कहते थे या नहीं, यह हम नहीं जानते किंतु उनका समय हमें स्वर्णकाल के समान अवश्य दिखाई देता है।
लेकिन जब बौद्ध युग का आरंभ हुआ, वैदिक समाज की पोल खुलने लगी और चिंतकों के बीच उसकी आलोचना आरंभ हो गई। बौद्ध युग अनेक दृष्टियों से आज के आधुनिक आदोलन के समान था। ब्राहमणों की श्रेष्ठता के विरुद्ध बुद्ध ने विद्रोह का प्रचार किया था, बुद्ध जाति प्रथा के विरोधी थे और वे मनुष्य को जन्मना नहीं कर्मणा श्रेष्ठ या अधम मानते थे।
नारियों को भिक्षुणी होने का अधिकार देकर उन्होंने यह बताया था कि मोक्ष केवल पुरुषों के ही निमित्त नहीं है, उसकी अधिकारिणी नारियाँ भी हो सकती हैं। बुद्ध की ये सारी बातें भारत को याद रही हैं और बुद्ध के समय से बराबर इस देश में ऐसे लोग उत्पन्न होते रहे हैं. जो जाति- प्रधा के विरोधी थे, जो मनुष्य को जन्मना नहीं, कर्मणा श्रेष्ठ या अधम समझते थे। किंतु बुद्ध में आधुनिकता से बेमेल बात यह थी कि वे निवृत्तिवादी थे, गृहस्थी के कर्म से वे भिक्षु-धर्म को श्रेष्ठ समझते थे।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) वैदिक युग स्वर्णकाल के समान क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर– वैदिक युग भारत का स्वाभाविक काल था। हमें प्राचीन काल की हर चीज अच्छी लगती है। इस कारण वैदिक युग स्वर्णकाल के समान प्रतीत होता है।
(ख) जाति-प्रथा एवं नारियों के विषय में बुद्ध के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– बुद्ध जाति-प्रथा के विरुद्ध थे। उन्होंने ब्राहमणों की श्रेष्ठता का विरोध किया। मनुष्य को वे कर्म के अनुसार श्रेष्ठ या अधम मानते थे। उन्होंने नारी को मोक्ष की अधिकारिणी माना।
(ग) बुद्ध पर क्या आरोप लगता है और उनकी कौन-सी बात आधुनिकता के प्रसंग में ठीक नहीं बैठती?
उत्तर– बुद्ध पर निवृत्तिवादी होने का आरोप लगता है। उनकी गृहस्थ धर्म को भिक्षु धर्म से निकृष्ट मानने वाली बात आधुनिकता के प्रसंग में ठीक नहीं बैठती।
(घ) संन्यास का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि इससे समाज को क्या हानि पहुँचती है।
उत्तर– संन्यास’ शब्द ‘सम् + न्यास’ शब्द से मिलकर बना है। सम्’ यानी ‘अच्छी तरह से और न्यास यानी ‘त्याग करना।
(ड) बौद्ध युग का उदय वैदिक समाज के शीर्ष पर बैठे लोगों के लिए किस प्रकार हानिकारक था?
उत्तर– बौद्ध युग का उदय वैदिक युग की कमियों के प्रतिक्रियास्वरूप हुआ था। वस्तुतः वैदिक युगीन समाज के शीर्ष पर ब्राहमण वर्ग के कुछ स्वार्थी लोग विराजमान थे।
Hindi Unseen Passage for Class 9
07 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें:
भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य अपने देश की प्रगति का मार्ग स्पष्ट और व्यापक बनाना था। उसने उसके काँटे-काँटे निकाल दिये। उन दोनों में सुंदर क्यारियाँ और मनोरम फल-फूलों वाले पेड़-पौधे हैं। इस प्रकार इसे मधुर बनाया गया ताकि भारतीय इससे वंचित न रह कर अपनी उन्नति में प्रथम स्थान पर पहुँच सकें।
यद्यपि भारतेन्दु जी अपने द्वारा लगाये गये वृक्षों को फल-फूलों से लदा हुआ नहीं देख सके, फिर भी यह देखकर हमें चैन नहीं मिलेगा कि वे जीवन के उद्देश्य में पूर्णतः सफल हो गये। आज हिन्दी भाषा और साहित्य में जो प्रगतिशीलता देखने को मिल रही है, उसके मूल कारण भारतेन्दु जी ही हैं और इस विकास के बीज बोने का श्रेय भी उन्हें ही है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(क) भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर– भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ-सुथरा और लंबा-चौड़ा बनाना था| इस उद्देश्य के लिए उन्होंने इसके मार्ग की बाधाओं को दूर किया| उनका यह उद्देश्य हिंदी भाषा की उन्नति से सम्बद्ध था|
(ख) भारतेंदु ने अपने जीवन में क्या किया ?
उत्तर– भारतेंदु जी ने देश की उन्नति के मार्ग को देशवासियों के लिए सरल बनाने हेतु कांटे-कंकड़ हटाकर, मार्ग के दोनों ओर सुंदर क्यारियां बनाकर उनमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए|
(ग) भारतेंदु जी को किसका श्रेय प्राप्त है ?
उत्तर– हिंदी भाषा और साहित्य में वर्तमान में दिख रही उन्नति के बीज बोने का श्रेय भारतेंदु जी को प्राप्त है|
(घ) मनोरम का अर्थ बताइए ?
उत्तर– मन को रमाने वाला|
(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|
उत्तर– भारतेंदु जी के जीवन का लक्ष्य|
FAQ
प्रश्न: राष्ट्रभाषा की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर– राष्ट्र की प्रशासकीय सुविधा, राष्ट्रीय एकता एवं गौरव के लिए राष्ट्रभाषा आवश्यक होती है।
प्रश्न: वैदिक युग स्वर्णकाल के समान क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर– वैदिक युग भारत का स्वाभाविक काल था। हमें प्राचीन काल की हर चीज अच्छी लगती है। इस कारण वैदिक युग स्वर्णकाल के समान प्रतीत होता है।
प्रश्न: भारतेंदु ने अपने जीवन में क्या किया ?
उत्तर– भारतेंदु जी ने देश की उन्नति के मार्ग को देशवासियों के लिए सरल बनाने हेतु कांटे-कंकड़ हटाकर, मार्ग के दोनों ओर सुंदर क्यारियां बनाकर उनमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए|