Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi On Life | हरिवंश राय बच्चन की अमर कविता – साजन आए, सावन आया

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi On Life: साजन आए, सावन आया हरिवंश राय बच्चन की एक प्रसिद्ध अमर कविता है। इस कविता में वह आनंद और प्यार की भावना को व्यक्त करते हैं जो मोनसून के आगमन के साथ जुड़ी होती है। यहां हम इस कविता के पंक्तियों के माध्यम से इसके विषय पर चर्चा करेंगे:

हरिवंश राय बच्चन की अमर कविता – साजन आए, सावन आया

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi On Life | हरिवंश राय बच्चन की अमर कविता – साजन आए, सावन आया
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi On Life | हरिवंश राय बच्चन की अमर कविता – साजन आए, सावन आया
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साजन आए, सावन आया,
खुशियों का वह मौसम लाया।

गीत गाए, ताल मचाए,
मन में लहरें उठाता जाए।

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वृष्टि की बूंदें तरंगों में बदल गई,
हर जगह हरियाली फैल गई।

पर्वतों पर मेघ छाए,
नदियों का जल बहाए।

गर्मी का तप हटा,
ठंडी धूप आई।

पृथ्वी में जीवन भरा,
हर संसार ने भरा।

प्रकृति की छांव में,
हम खो जाएं।

साजन आए, सावन आया,
यह जगमगाता है नाचता जाए।

हरिवंश राय बच्चन की यह कविता,
हमें प्रकृति के सौंदर्य की ओर ले जाती है।

Harivansh Rai Bachchan’s Poems in Hindi Savan Aayen, Sajan Aaya

Harivansh Rai Bachchan's Poems in Hindi Savan Aayen, Sajan Aaya
Harivansh Rai Bachchan’s Poems in Hindi Savan Aayen, Sajan Aaya

साजन आए, सावन आया

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।

धरती की जलती साँसों ने,
मेरी साँसों में ताप भरा..

सरसी की छाती दरकी तो,
कर घाव गई मुझ पर गहरा..

है नियति-प्रकृति की ऋतुओं में,
संबंध कहीं कुछ अनजाना,

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।

तूफान उठा जब अंबर में,
अंतर किसने झकझोर दिया,

मन के सौ बंद कपाटों को,
क्षण भर के अंदर खोल दिया,

झोंका जब आया मधुवन में,
प्रिय का संदेश लिए आया-

ऐसी निकली ही धूप नहीं
जो साथ नहीं लाई छाया ।

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।

घन के आँगन से बिजली ने
जब नयनों से संकेत किया,

मेरी बे-होश-हवास पड़ी
आशा ने फिर से चेत किया,

मुरझाती लतिका पर कोई
जैसे पानी के छींटे दे,

ओ फिर जीवन की साँसे ले
उसकी म्रियमाण-जली काया ।

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,

साजन आए, सावन आया।
रोमांच हुआ जब अवनी का,

रोमांचित मेरे अंग हुए,
जैसे जादू की लकड़ी से,

कोई दोनों को संग छुए,
सिंचित-सा कंठ पपीहे का,

कोयल की बोली भीगी-सी,
रस-डूबा, स्वर में उतराया,

यह गीत नया मैंने गाया।
अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,

साजन आए, सावन आया।

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