Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi Jo Beet Gai So Baat Gai | जो बीत गई सो बात गई

जो बीत गई सो बात गई हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध अमर कविता है। इस कविता में हरिवंश राय बच्चन ने समय के महत्व को बताया है और हमें यह याद दिलाया है कि जो बीत गया है, उसके बारे में चिंतन करने की बजाय हमें आगे की ओर बढ़ना चाहिए। यहां हम इस कविता की पंक्तियों के माध्यम से इसके विषय पर चर्चा करेंगे: Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi Jo Beet Gai So Baat Gai.

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi Jo Beet Gai So Baat Gai

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi Jo Beet Gai So Baat Gai | जो बीत गई सो बात गई
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi Jo Beet Gai So Baat Gai | जो बीत गई सो बात गई
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जो बीत गई सो बात गई,
यह नया वर्ष हमें स्वागत कराता है।

व्यर्थ चिंता में व्यतीत न करें,
आगे की ओर देखें, आगे बढ़ें।

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क्योंकि जीवन चलता रहता है,
क्या हुआ, क्यों हुआ, यह चिंता नहीं।

जीने का अद्भुत आनंद लें,
जीवन की राह को आगे बढ़ें।

व्यक्ति निर्णय लेने के लिए नहीं है,
सोचने और कार्य करने का समय है।

आगे की ओर नगण्य चलें,
नवीनता के साथ आगे बढ़ें।

भूले हुए को याद दिलाने की जरूरत नहीं,
आने वाले को स्वागत करने की है।

जो बीत गई सो बात गई,
हमें अगले कदम पर ध्यान केंद्रित करना है।

हरिवंश राय बच्चन की यह कविता,
हमें जीवन की महत्वपूर्ण सत्यता दिखाती है।

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi – जो बीत गई सो बात गई
Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi – जो बीत गई सो बात गई

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो

कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ।।

जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई।।

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो।।

कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर।।

कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिट्टी के बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं।।

लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर।।

मधु के घट हैं, मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है।।

जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ।
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।।

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