अजनबी शहर कविता – Short Poem in Hindi
अजनबी शहर की गलियों में चलते हुए,
एक अजनबी की तरह अपनी मनचाही राह ढूंढ़ते हुए।
नयी जगह, नया आसमान, नयी ध्वनि,
जीवन की यह अजनबी दुनिया, चमक रही है चाहती।
चहचहाने वाले पक्षियों की आवाज, रंगीन फूलों का नजारा,
अजनबी शहर में हर कोने से खुशबू आए बहार की।
सड़कों की भीड़, गलियों का अंदाज़,
अजनबी शहर में दिल की धड़कन भी नई है सजाए।
मुद्दतों बाद जब आंखों में थी रौशनी की प्यास,
अजनबी शहर ने छू लिया मेरे रोम-रोम को ख्वाब का अहसास।
हर कदम पर थे आगे के सपने के छोटे-मोटे ठिकाने,
अजनबी शहर ने मुझे जीने का नया अद्भुत तरीका सिखाया।
सभ्यता की ख़ुशबू, विविधता की छाया,
अजनबी शहर में अपनापन का एहसास हुआ।
अजनबी शहर, एक परिचय का मंच है,
मुसाफ़िरों के लिए नया घर, एक खोये हुए को तलाश का ध्यान।
अजनबी शहर में दोस्त बनाए बिना,
हँसते हुए चलना, ख़ुद को ढूंढ़ते हुए।
यह शहर अजनबी हो सकता है पहले,
लेकिन जब बस जाता है दिल में, तो यही हमारा हो जाता है अपना ख़ुदा।